Guru Nanak Jayanti 2023: गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का उद्देश्य मानव का संपूर्ण कायाकल्प करना था
धर्म को न जानने के कारण ही लोग जात-पात और भेदभाव की भावना से ग्रस्त हो गए थे। इसके अतिरिक्त तत्कालीन इस्लामी शासन ने स्थितियां और भी बिगाड़ दी थीं। ऐसे समय में श्री गुरु नानक देव जी ने जितने विस्तार और प्रभावपूर्ण ढंग से मानवता को सच्चे धर्म का ज्ञान करवाया वह निरंकार के साथ उनकी अभेदता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। गुरुजी ने अनेक धर्म यात्राएं कीं।

प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर (पूर्व प्रधान, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर): सिखों के प्रथम गुरु श्री नानक देव जी एक ऐसे महान धार्मिक गुरु थे, जिनका दर्शन किसी समय अथवा स्थान के लिए सीमित नहीं, बल्कि सार्वकालिक व पूरे विश्व के लिए था। किसी एक धर्म या पंथ के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए था। गुरु जी ने पूरे विश्व की भलाई के लिए उपदेश दिए। श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का उद्देश्य मानव का संपूर्ण कायाकल्प करना और सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्र में सर्वपक्षीय क्रांति लाना था।
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उन्होंने दूर-दूर तक जाकर अपनी विचारधारा का प्रचार किया। उनकी वैचारिकी इतनी शक्तिशाली थी कि आज भी उसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को पिता कल्याण चंद के घर राय भोई दी तलवंडी (अब पश्चिम पाकिस्तान) में हुआ। उन्होंने जगत के कल्याण के लिए नई विचारधारा दी। इस विचारधारा मूल में जो सिद्धांत हैं, उनमें परिश्रम करना, बांटकर खाना और प्रभु का नाम लेना प्रमुख हैं। गुरु नानक देव जी का जन्म ऐसे समय हुआ, जब अनेक धर्म, दर्शन, विचारधाराओं और सिद्धांतों की गुत्थियों के कारण साधारण मनुष्य के लिए धर्म के तत्व को समझना कठिन हो गया था।
धर्म को न जानने के कारण ही लोग जात-पात और भेदभाव की भावना से ग्रस्त हो गए थे। इसके अतिरिक्त तत्कालीन इस्लामी शासन ने स्थितियां और भी बिगाड़ दी थीं। ऐसे समय में श्री गुरु नानक देव जी ने जितने विस्तार और प्रभावपूर्ण ढंग से मानवता को सच्चे धर्म का ज्ञान करवाया, वह निरंकार के साथ उनकी अभेदता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। गुरुजी ने अनेक धर्म यात्राएं कीं।
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इन उदासियों (यात्रा) पर जाने से पहले सुल्तानपुर लोधी में मोदी खाने में नौकरी की और उदासियों के बाद भी करतारपुर में कई साल तक खेती की। इस तरह भोजन तैयार करवाकर भूखे साधुओं को तृप्त कर सच्चा सौदा किया। उन्होंने लंगर परंपरा शुरू की। श्री गुरु नानक देव जी विश्व चेतना के पैरोकार थे। उन्होंने समूचे विश्व के कल्याण की कामना की, न कि किसी एक जाति, धर्म या देश की।
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