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Guru Gobind Singh Jayanti 2024: दशम गुरु श्री गोबिंद सिंह साहिब की 'राम अवतार' वीर रस पर आधारित कृति है

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के राम अवतार में श्रीराम के जीवन और सीता स्वयंवर से लेकर सीता हरण तक का पूरा वर्णन है। इसमें वन प्रवेश वर्णन खर दूषण दैत्य युद्ध वर्णन सीता हरण वर्णन सीता को ढूंढ़ने का वर्णन हनुमान को सीता की खोज के लिए भेजने त्रिमुंड युद्ध महोदर युद्ध इंद्रजीत युद्ध अतिकाय दैत्य युद्ध मकराश युद्ध व रावण युद्ध का वर्णन प्रमुख तौर पर है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Sun, 14 Jan 2024 11:40 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jan 2024 11:40 AM (IST)
Guru Gobind Singh Jayanti 2024: 'राम अवतार' वीर रस पर आधारित कृति है

डा. हरभजन सिंह (पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला)। दशम गुरु श्री गोबिंद सिंह साहिब की 'राम अवतार' दूसरी वृहदाकार कृति है, जिसमें श्रीराम जी का जीवन चरित्र वर्णित है। जहां भक्ति लहर के सगुणवादी संत साकार श्रीरामचंद्र जी के उपासक थे, वहीं निर्गुणवादी धारा के संत निराकार राम के उपासक थे, जिनको वह अवतारों का जनक मानते थे। गुरु जी के लिए साकार और निराकार दोनों ही रूप मान्य थे। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दशम गुरु की वाणी आदि-जुगादि श्रीराम के निराकारी रूप राम नाम पर केंद्रित है।

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दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी, तत्कालीन मुगल शासन के अत्याचारों को रोकने के लिए भारतीय समाज में युद्ध परंपरा को पुनर्जीवित करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अवतारों को महान योद्धाओं के रूप में प्रस्तुत करने के लिए चौबीस अवतार कृति का संयोजन किया। राम अवतार कृति में विष्णु जी के अवतार का कारण पृथ्वी पर असुरी शक्तियों का बढ़ जाना और देवताओं की रक्षा करना बताया गया है। राम अवतार में 864 पद हैं, जो 26 अध्यायों में विभाजित हैं। इनमें 425 पद युद्ध कथाओं से संबंधित हैं।

आरंभ के अध्यायों में श्रीराम के अवतार धारण की कथाओं का वर्णन किया गया है। कैसे राजा दशरथ के भ्रम के कारण श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई, तो श्रवण कुमार के माता-पिता ने राजा दशरथ को पुत्र वियोग में मरने का शाप दे दिया। राजा ने सोचा कि मैं राज का त्याग करके जंगल में अपना जीवन व्यतीत करूं। उसी समय आकाशवाणी हुई, हे राजन, दुखी न हो। तेरे घर भगवान विष्णु पुत्र रूप में जन्म लेंगे, जो संसार का कल्याण कर तेरे सारे पाप कर्म को दूर करेंगे। तू मोह त्याग कर घर जा और यज्ञ कर। राजा अपने घर गए और उन्होंने मुनि वशिष्ठ को बुलाकर राजसूय यज्ञ करने का फैसला किया।

जब यज्ञ शुरू किया तो राजा ने कई देशों के राजाओं और ब्राह्मणों को बुलाया। यज्ञ करने वाले कई पंडितों ने जब हवन किया तो यज्ञ कुंड से एक यज्ञ पुरुष प्रकट हुए। उनके हाथ में खीर का कटोरा था। राजा ने इस खीर के चार हिस्से किए और रानियों को दिया। सबसे पहले श्री रामका जन्म हुआ। उसके बाद भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न नाम के तीन कुमारों ने जन्म लिया। रणभूमि में धीरज के साथ लड़ने वाले श्रीराम ने शास्त्रों एवं शस्त्रों को ठीक तरह से समझा।

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श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के राम अवतार में श्रीराम के जीवन और सीता स्वयंवर से लेकर सीता हरण तक का पूरा वर्णन है। अधिकतर अध्याय उसके बाद शुरू हुए युद्धों को लेकर हैं। इसमें वन प्रवेश वर्णन, खर दूषण दैत्य युद्ध वर्णन, सीता हरण वर्णन, सीता को ढूंढ़ने का वर्णन, हनुमान को सीता की खोज के लिए भेजने, त्रिमुंड युद्ध, महोदर युद्ध, इंद्रजीत युद्ध, अतिकाय दैत्य युद्ध, मकराश युद्ध व रावण युद्ध का वर्णन प्रमुख तौर पर है। ये सभी वर्णन काफी लंबे हैं। श्रीराम ने किस प्रकार दैत्यों को इन युद्धों में हराकर सीता को पुन: प्राप्त किया। गुरु जी की पूरी कृति वीर रस पर आधारित है।


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