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    शादी में दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को क्यों पहनाते हैं जयमाला, कैसे हुई इसकी शुरुआत?

    सनातन संस्कृति में विवाह में कई महत्वपूर्ण रीति रिवाज को किया जाता है। रीति रिवाज धर्म और जाति में अलग-अलग देखने को मिलते हैं। सभी रस्मों (Bride and Groom Rituals) का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में शादी के दौरान वर-वधु एक-दूसरे को जयमाला (Varmala Tradition in Indian Marriages) पहनाते हैं। माना जाता है कि इस रस्म के बिना शादी अधूरी रहती है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 07 Dec 2024 02:27 PM (IST)
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    इसलिए पहनाते हैं वर-वधु जयमाला (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेक्स, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में विवाह से कुछ दिन पहले ही रस्मों की शुरुआत हो जाती है। सभी रस्मों को विधिपूर्वक किया जाता है। इनमें हल्दी, मेहंदी, जयमाला और जूते चुराई समेत आदि रस्मों को निभाया जाता है। जयमाला एक ऐसी रस्म है, जिसमें वर और वधु एक-दूसरे को जयमाला पहनाते हैं। इस रस्म (Wedding Garland Tradition) के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि विवाह के दौरान वर और वधु के द्वारा एक-दूसरे को जयमाला पहनाने की रस्म की शुरुआत कैसे हुई और इस रस्म को क्यों निभाया जाता है? अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए जानते हैं इससे जुड़ी वजह के बारे में।

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    ऐसे हुई जयमाला पहनाने की शुरुआत

    जयमाला (Significance of Varmala in Marriage) की रस्म का उल्लेख पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में देखने को मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, स्वयंवर के दौरान भगवान श्रीराम ने शिव जी के धनुष को तोड़ा था, जिसके बाद माता सीता ने राम जी को वरमाला पहनाई थी और उन्हें अपना जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया था। उसी समय से जयमाला की रस्म की शुरुआत मानी जाती है। इस रस्म को विवाह का एक अहम हिस्सा माना जाता है।

    (Pic Credit- Freepik)

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    अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऐसा समय आया कि जब जगत के पालनहार भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन में व्यस्त हो गए थे, तो उस समय धन की देवी मां लक्ष्मी समुद्र की गहराइयों में समाहित हो गईं थीं। इसी वजह से श्रीहरि ने मां लक्ष्मी को पुनः प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कराया। इसके बाद समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी अपने हाथ में फूलों की माला लेकर अवतरित हुईं थीं। उन्होंने भगवान विष्णु को माला पहनाई थीं।

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विवाह के दौरान दूल्हा और दुल्हन के द्वारा एक-दूसरे को जयमाला पहनाने का मतलब यह है कि वर और वधु एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करना। इस दौरान परिवार, घर और मित्रगण वर और वधु को नए की जीवन की शुरुआत के लिए शुभकामनाएं देते हैं।

    कैसी होती है जयमाला

    जयमाला को कई तरह के फूलों की मदद से बनाई जाती है, क्योंकि फूलों को उत्साह, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। मान्यता के अनुसार, जयमाला सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। शादी के दौरान इस रस्म को प्राचीन समय से निभाया जा रहा है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।