Lord Ram: रावण के वध के बाद भगवान राम जी ने क्यों की थी तपस्या, एक नहीं कई हैं वजह
सनातन धर्म में रामायण एक धार्मिक ग्रंथ है। इसके द्वारा आज के समय में लोगों को जीवन जीने का मार्गदर्शन मिलता है। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और माता सीता समेत अन्य लोगों के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें राम जी की तपस्या (Ram penance) का भी उल्लेख किया गया है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान श्रीराम को मर्यादाओं के पालन के लिए जाना जाता है। राम जी ने अपने जीवन के दौरान कई तरह की समस्यायों का सामना किया था, जिसके बाद भी वह अपनी मर्यादाओं का पालन करते रहे। भगवान श्रीराम ने रावण के अत्याचारों के शासन को खत्म करने के लिए रावण से युद्ध किया।
धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए लंकापति रावण का वध किया था। रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध होने के और भी कई कारण थे, जिनमें माता सीता का अपहरण और रावण के राक्षसों का बढ़ता आतंक। इन्हीं सभी कारणों से त्रेता युग में राम जी और दशानन रावण के बीच युद्ध हुआ।
रावण का अंत करने के बाद भगवान श्री राम ने तपस्या (Lord Ram penance) की थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम जी के द्वारा तपस्या करने की क्या वजह थी। अगर नहीं पता, तो चलिए आपको इस आर्टिकल में इस विषय से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताएंगे।
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इसलिए की थी तपस्या
भगवान श्रीराम (significance of Ram penance) त्रेता युग में धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश करना चाहते थे। इस वजह से उन्होंने लंका का राजा रावण से युद्ध का सामना किया। इस युद्ध में राम जी की तरफ से सुग्रीव, हनुमान, विभीषण समेत अन्य लोग थे।
वहीं, रावण की ओर से कुम्भकर्ण, और मेघनाद जैसे लोग शामिल हुए थे। राम जी ने इस बात को स्वीकार किया था कि युद्ध में हिंसा होने से संसार का संतुलन प्रभावित होगा। ऐसे में इस संसार का संतुलन को बनाए रखने के लिए राम जी ने तपस्या की थी।
हिंसा के दौरान उत्पन्न हुई अशांति को शांत करने की वजह से भी राम जी ने तपस्या (post-war rituals) की थी। इसके अलावा ब्रह्महत्या के दोष से बचने के लिए भी राम जी ने तपस्या की थी, क्योंकि रावण पंडित था और उसके कई तरह ज्ञान की प्राप्ति थी। तपस्या के द्वारा राम जी ने इस बात का संदेश दिया कि अधर्म का नाश करने के बाद जीवन में कर्तव्यों का पालन करना अधिक जरूरी है।
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