Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर क्यों किया जाता है पितरों का तर्पण?
ज्योतिष सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024 Date) तिथि पर कालसर्प और पितृ दोष का निवारण कराने की सलाह देते हैं। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही पीपल पेड़ की भी पूजा की जाती है। पीपल पेड़ की पूजा करने से साधक को पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। इसके पश्चात, अन्न, वस्त्र एवं धन का दान कर पुण्य के भागी बनते हैं। धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण में वर्णित है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही धन और वंश में वृद्धि होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों सोमवती अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।
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कब है सोमवती अमावस्या?
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की अमावस्या तिथि 30 दिसंबर को शुरू होगी और 31 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। अतः सोमवार 30 दिसंबर को पौष अमावस्या मनाई जाएगी। सोमवार के दिन पड़ने के चलते यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी। इस दिन ध्रुव योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
क्यों किया जाता है तर्पण?
शास्त्रों में निहित है कि सोमवती अमावस्या को अश्वत्थ प्रदक्षिणा भी कहा जाता है। अश्वत्थ का तात्पर्य पीपल पेड़ से है। वहीं, प्रदक्षिणा का अर्थ परिक्रमा से है। अतः सोमवती अमावस्या के दिन पीपल पेड़ की पूजा एवं परिक्रमा की जाती है। गरुड़ पुराण में निहित है कि पीपल के पेड़ में पितरों का निवास होता है। इसके लिए सोमवती अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा की जाती है। वहीं, तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आसान शब्दों में कहें तो उन्हें प्रेतयोनि से मुक्ति मिल जाती है। इसके लिए सोमवती अमावस्या पर पितरों का तर्पण किया जाता है। इससे तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
पितृ दोष के उपाय
सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठकर स्नान-ध्यान करें। अगर गंगा-स्नान की सुविधा नहीं है, तो घर पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद पानी में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों का तर्पण करें। इसके बाद पितृ चालीसा का पाठ करें। अब पितरों को भोजन अर्पित करें। पक्षियों को दाना दें। अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं। साथ ही दान-दक्षिणा दें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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