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    Aghori Shav Sadhna: अघोरी साधु श्मशान में क्यों करते हैं शव साधना? क्या है इसकी वजह

    सनातन धर्म से जुड़े लोग प्रभु को पाने के लिए कई तरह की पूजा-अर्चना और तपस्या करते हैं। इनमें अघोरी साधु भी शामिल हैं। अघोरी साधु जीवनकाल के दौरान दिव्यता प्राप्त करने के लिए तंत्र विद्या करते हैं। इसके लिए अघोरी साधु को कठिन तपस्या करनी होती है। अघोरी साधु (Aghori Sadhu) बनने के लिए किसी विद्वान से जानकारी अवश्य लेनी चाहिए।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 08 Feb 2025 03:18 PM (IST)
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    अघोरी साधु बनने के लिए करनी पड़ती है कठिन तपस्या

    धर्म दिल्ली, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अघोरी साधु का विशेष महत्व है। अघोरी भगवान शिव के साधक होते हैं। इस बात का उल्लेख श्वेताश्वतरोपनिषद में किया गया है। इनका जीवन आम व्यक्ति के जीवन से बेहद अलग होता है। अघोरी साधु बाबा भैरवनाथ को अपना आराध्य मानते हैं। अघोरी साधु अपने जीवनकाल के दौरान तंत्र साधना भी अधिक करते हैं। अघोरी साधु को बनने के लिए कई कठिन प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है, जिसके बाद एक पूर्ण अघोरी साधु बनता है।

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    अगर कोई साधु (Aghori Sadhu Powers) परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कर पता है, तो वह अघोरी साधु बनने से रह जाता है। इसी वजह से अघोरी साधु बनने की प्रक्रिया को कठिन माना जाता है। अघोरी साधु श्मशान शव साधना करते हैं।

    (Pic Credit-AI)

    क्या आप जानते हैं कि आखिर किस वजह से श्मशान में बैठकर शव साधना की जाती है? अगर नहीं पता, तो ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि इसकी वजह के बारे में।  

    कुछ लोगों का कहना है कि श्मशान में अघोरी साधु काला जादू करते हैं, लेकिन इस बात को सच नहीं कहा जा सकता। अघोरी साधुओं के द्वारा श्मशान में साधना करना अघोरी साधुओं के जीवन का एक हिस्सा है। ऐसा बताया जाता है कि श्मशान भूमि में साधान के दौरान अघोरी साधु अधजले शव का सेवन करते हैं, जिसे साधना का एक हिस्सा माना जाता है।  

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    (Pic Credit-AI)

    अघोरी साधु शव साधना के दौरान मुर्दे को मांस और मदिरा अर्पित करते हैं। साथ ही शव साधना को बेहद गुप्त तरीके से की जाती है। अघोरी साधु शव साधना इस वजह से करते हैं, क्योंकि अघोरी साधु मृत्यु के अटल सत्य को नमन करते हैं।  

    (Pic Credit-AI)

    श्मशान में करते हैं अघोरी साधु वास

    अघोरी साधु सिर्फ वो ही बन सकता है, जो जीवन में मोह-माया का त्याग कर सके। अघोरी साधु श्मशान भूमि में रहना बेहद पसंद करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि श्मशान में की गई साधना का शुभ फल जीवन में जल्द ही प्राप्त होता है। एक खास बात बता दें कि अघोरी पंथ उसी साधु को अपनाता है, जिसे मोह-माया का लालच और मृत्यु का डर नहीं होता।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।