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    Naga Sadhu: कैसे बनते हैं नागा साधु? इनके जीवन से जुड़ी रहस्यमयी बातें जानकर हो जाएंगे हैरान

    Updated: Sat, 17 Aug 2024 12:57 PM (IST)

    सनातन धर्म में नागा साधु उन्हें कहा जाता है जो जीवन में प्रभु की भक्ति में लीन रहते हैं और कभी भी वस्त्र धारण नहीं करते हैं। नागा साधु (Naga Sadhu Facts) बनने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक होता है। इस तरह के साधु बनने की प्रक्रिया कठिन मानी जाती है। आइए आपको इस लेख में बताते हैं नागा साधु बनने की प्रक्रिया के बारे में।

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    Naga Sadhu: अधिक संख्या में नागा साधु पुरुष ही होते हैं

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Naga Sadhu: सनातन धर्म में साधु और संत का विशेष महत्व है। साधु और संत अपने जीवनकाल के दौरान प्रभु का भजन और साधना करते हैं। इसके अलावा लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिसके द्वारा लोग अपने जीवन में भक्ति के बारे में समझ पाते हैं। साधु और संत में नागा साधु भी शामिल होते हैं। नागा साधु बनने के लिए कठिन प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। ऐसे में आइए जानते हैं नागा साधु (Naga Sadhu Ke Niyam) से जुड़ी कुछ विशेष बातें।

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    ऐसे बनते हैं नागा साधु

    • नागा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन मानी जाती है। अखाड़ों के द्वारा व्यक्ति को नागा साधु बनाया जाता है। अखाड़ा समिति देखती है कि व्यक्ति साधु के योग्य है या नहीं? इसके बाद उस व्यक्ति को अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है।

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    • इसके पश्चात व्यक्ति को कई तरह की परीक्षाएं देनी होती हैं। नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करना अति आवश्यक होता है। इस प्रक्रिया में 6 महीने से लेकर 1 वर्ष तक का समय लग सकता है। इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए साधक को 5 गुरु से दीक्षा प्राप्त करनी होती है। शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश द्वारा, जिन्हें पंच देव भी कहा जाता है।
    • इसके बाद व्यक्ति सांसारिक जीवन का त्याग कर अध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करते हैं और स्वयं का पिंडदान करते हैं। नागा साधु भिक्षा में प्राप्त हुए भोजन का सेवन करते हैं। अगर किसी दिन साधु को भोजन नहीं मिलता है, तो उन्हें बिना भोजन के रहना पड़ता है।
    • नागा साधु जीवन में सदैव वस्त्र धारण नहीं करते हैं, क्योंकि वस्त्र को आडंबर और सांसारिक जीवन का प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से वह अपने शरीर को ढकने के लिए भस्म लगाते हैं। सबसे अहम बात बता दें कि नागा साधु सोने के लिए भी बिस्तर का प्रयोग नहीं करते हैं।
    • नागा साधु समाज के लोगों के सामने सिर नहीं झुकाते हैं और न ही जीवन में कभी भी किसी की निंदा नहीं करते हैं। लेकिन वह वरिष्ठ सन्यासियों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सिर झुकाते हैं। जो व्यक्ति इन सभी नियमों का पालन करता है। वह नागा साधु बनता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।