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    Ashadha Gupt Navratri 2024: कब मनाई जाएगी आषाढ़ गुप्त नवरात्र की अष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 04 Jul 2024 05:53 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि गुप्त नवरात्र (Ashadha Gupt Navratri 2024) के दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की श्रद्धा भाव से पूजा करने पर व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है। गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही अष्टमी व्रत रखा जाता है।

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    Ashadha Gupt Navratri 2024: कैसे करें मां दुर्गा को प्रसन्न ?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durgashtami 2024: गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि पाने के लिए दुर्गाष्टमी का व्रत भी रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा की महिमा का गुणगान विस्तार पूर्वक किया गया है। मां दुर्गा के शरणागत रहने वाले साधकों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही घर में खुशियों का आगमन होता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। तंत्र सीखने वाले साधक दुर्गाष्टमी पर निशा काल में विशेष साधना कर जगत की देवी को प्रसन्न करते हैं। मां दुर्गा की कृपा से साधक को तंत्र विद्या में सिद्धि प्राप्त होती है। आइए, गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    अष्टमी शुभ मुहूर्त (Ashadha Gupt Navratri Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 14 जुलाई को संध्याकाल 05 बजकर 52 मिनट पर होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 14 जुलाई को आषाढ़ गुप्त नवरात्र की अष्टमी है।

    दुर्गाष्टमी का महत्व

    ममतामयी मां दुर्गा की महिमा (Ashadha Gupt Navratri Importance) निराली है। अपने भक्तों के उद्धार हेतु मां नवरात्र के दौरान भूलोक पर आती हैं। मां अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। साथ ही भक्तों की खाली झोली खुशियों से भर देती हैं। उनकी कृपा से भक्तजन के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। अतः साधक दुर्गाष्टमी पर न केवल जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करते हैं, बल्कि कठिन साधना और व्रत कर मां को प्रसन्न भी करते हैं।

    पूजा विधि ( Ashadha Gupt Navratri 2024 Puja Vidhi)

    साधक दुर्गाष्टमी पर ब्रह्म बेला में उठें। इस समय जगत जननी मां दुर्गा को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई कर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। पूजा गृह में मां की भक्ति-उपासना के लिए पूजा सामाग्री एकत्र कर लें। अब नित्य कर्मों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर लाल रंग का वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा स्थल पर चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या छवि स्थापित करें। इस समय दुर्गा आह्वान मंत्र का उच्चारण करें।

    अब पंचोपचार कर मां दुर्गा को लाल रंग का फूल, फल, अक्षत, हल्दी, श्रृंगार की वस्तुएं आदि चीजें अर्पित करें। प्रसाद में मां दुर्गा को हलवा, पूरी, मिठाई, श्रीफल आदि चीजों का भोग लगाएं। इस समय दुर्गा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के समापन के समय आरती करें। इस समय सुख-समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। व्रत उपवास के दौरान एक बार जल और एक फल ग्रहण कर सकते हैं। संध्याकाल में आरती कर फलाहार कर सकते हैं। वहीं, कठिन साधना करने वाले साधक निशा काल में पूजा के बाद फलाहार करें। अगले दिन स्नान-ध्यान, पूजा-पाठ के बाद पारण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।