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    Ashadha Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र के दौरान करें इन चमत्कारी मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 04 Jul 2024 03:44 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इस दौरान साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं। साथ ही गुप्त नवरात्र के दौरान विशेष उपाय भी करते हैं। इन उपायों को करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

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    Ashadha Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्र का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ashadha Gupt Navratri 2024: हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। इस वर्ष 6 जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक गुप्त नवरात्र मनाया जाएगा। इस दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ शक्ति रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। गुप्त नवरात्र पर्व दस महाविद्यायों की देवी को समर्पित है। तंत्र सीखने वाले साधक गुप्त नवरात्र के दौरान कठिन साधना कर मां को प्रसन्न करते हैं। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर मां साधक को मनवांछित फल देती हैं। अतः गुप्त नवरात्र के दौरान रोजाना मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    मां दुर्गा के चमत्कारी मंत्र 

    1. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

    स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

    दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

    सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥

    2. देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

    रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

    3. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

    4. हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।

    सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

    5. शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।

    सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

    6. रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।

    त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

    7. दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।

    दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ॥

    दुर्गतोद्धारिणी दुर्गानिहन्त्री दुर्गमापहा।

    दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला॥

    दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरुपिणी।

    दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता॥

    दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी।

    दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थंस्वरुपिणी॥

    दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी।

    दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्र्वरी॥

    दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी।

    नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानवः॥

    पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ॥

    8. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः।

    सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

    दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।

    मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

    9. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।

    10. क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।