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    Vivah Panchami 2025 Date: कब और क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी? यहां पढ़ें धार्मिक महत्व

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 07:15 PM (IST)

    मार्गशीर्ष माह में आने वाली विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह का पावन पर्व है। यह तिथि उनके आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है और इसे श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से घर-परिवार में सुख-शांति आती है और वैवाहिक जीवन में मिठास बढ़ती है।   

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    विवाह पंचमी पर क्या करें और क्या न करें?

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। मार्गशीर्ष माह को सनातन धर्म में शुभ माना जाता है। यह महीना भगवान श्रीराम और माता सीता की भक्ति, श्रद्धा और पारिवारिक सुख–समृद्धि की कामना के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।

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    मान्यता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्रीराम और मां सीता के दिव्य विवाह का पावन दिन आता है, जिसे विवाह पंचमी कहा जाता है। इस तिथि पर विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और स्तोत्र-पाठ करने से घर-परिवार में सुख, शांति और वैवाहिक जीवन में मिठास बढ़ती है। इसीलिए विवाह पंचमी को हर साल अत्यंत धार्मिक उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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    विवाह पंचमी 2025 कब है?

    पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 25 नवंबर 2025 को पड़ रही है। इस तिथि को भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य मिलन की वर्षगांठ माना जाता है और पूरे देश में श्रद्धालु इस शुभ अवसर पर श्रीराम और माता सीता के विवाह का उत्सव बड़े भाव से मनाते हैं।

    इस दिन मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है, रामचरितमानस का पाठ होता है और शाम के समय कई स्थानों पर राम–सीता विवाह झांकी का आयोजन भी किया जाता है। गृहस्थ जीवन में सुख बढ़ाने, वैवाहिक समस्याओं के समाधान और संबंधों में प्रेम-समझ को मजबूत करने के लिए भी यह तिथि अत्यंत शुभ होती है।

    विवाह पंचमी क्यों मनाई जाती है?

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में इसी पंचमी तिथि को भगवान श्रीराम और माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ था। यह विवाह केवल एक दिव्य घटना नहीं, बल्कि आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है। राजा जनक की भूमि पर हुआ यह पवित्र मिलन मर्यादा, प्रेम, त्याग और विश्वास का संदेश देता है। इसलिए विवाह पंचमी का पर्व आज भी उतनी ही आस्था से मनाया जाता है जितनी उस समय की जनकपुरी में थी।

    माना जाता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सामंजस्य और समृद्धि आती है। जो लोग विवाह योग्य हैं, उन्हें इस दिन विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस तिथि पर अन्न, वस्त्र या धन का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से घर में सदैव लक्ष्मी का वास रहता है और जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं आती।

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    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।