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    Ekodista Shraddha 2026 Date: कब और क्यों किया जाता है एकोदिष्ट श्राद्ध? यहां नोट करें सही तिथि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 07:00 PM (IST)

    सनातन धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है, यह मां गंगा को समर्पित है। इस माह में भीष्म अष्टमी मनाई जाती है, जब भीष्म पितामह ने सूर्य के उत ...और पढ़ें

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    Bhishma Ashtami 2026: भीष्म अष्टमी का धार्मिक महत्व

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में माघ महीने का खास महत्व है। यह महीना देवी मां गंगा को समर्पित होता है। अतः इस महीने में रोजाना गंगा स्नान किया जाता है। असुविधा होने पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान किया जाता है। इसके बाद मां गंगा और भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

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    Ekodista Shraddha 2026

    माघ महीने में भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भीष्म पितामह ने अपने देह का त्याग किया था। इसके लिए हर साल माघ माह में भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। आइए, एकोदिष्ट श्राद्ध के बारे में सबकुछ जानते हैं-

    कब सूर्य देव होंगे उत्तरायण?

    ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव 14 जनवरी को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे। इस दिन सूर्य उत्तरायण होंगे। उत्तरायण होने का तात्पर्य उत्तर दिशा में गमन करना है। उत्तरायण का समय देवताओं का होता है। इसके लिए पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों में शुभ माना जाता है।

    गीता उपदेश में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण अपने परम शिष्य अर्जुन से कहते हैं कि सूर्य के उत्तरायण होने पर शुक्ल पक्ष के दौरान दिन के समय प्राण त्यागने वाले संत को उच्च लोक को प्राप्ति होती है। उसे दोबारा से पृथ्वी लोक पर वापस नहीं आना पड़ता है। इसके लिए भीष्म पितामह सूर्य उत्तरायण होने तक बाण शैय्या पर पड़े रहे।

    एकोदिष्ट श्राद्ध

    धर्म पंडितों की मानें तो एकोदिष्ट श्राद्ध पितरों को समर्पित होता है। यह श्रद्धा मृत पिता और पितामह के लिए किया जाता है। वहीं, विशेष पुरुष की पुण्यतिथि पर भी एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है। अतः हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर भीष्म पितामह का श्राद्ध किया जाता है। भीष्म पितामह का श्राद्ध और तर्पण सामान्य व्यक्ति भी कर सकता है। महाभारतकाल में भीष्म पितामह के पंच तत्व में विलीन होने के बाद पांडवों ने उनका श्राद्ध किया था।

    एकोदिष्ट श्राद्ध शुभ मुहूर्त (Ekodista Shraddha Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, 25 जनवरी को देर रात 11 बजकर 10 मिनट पर माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी और 26 जनवरी को रात 09 बजकर 17 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। उदया तिथि से 26 जनवरी को भीष्म अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध का समय सुबह 11 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।