Navkar Mantra: क्या है नवकार मंत्र और इसका महत्व, जानें इससे जुड़े नियम
जैन धर्म (Navkar Mantra Niyam) में 24 तीर्थंकर हैं। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव हैं। ऋषभदेव को आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हैं। भगवान महावीर का जन्म बिहार राज्य के वैशाली में हुआ था। भगवान महावीर का जन्म क्षत्रिय परिवार में हुआ था। मटेरियल वर्ल्ड से विरक्ति के बाद भगवान महावीर ने कठिन तपस्या की।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 09 अप्रैल को नवकार महामंत्र दिवस मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य वरिष्ठ जनों के साथ मिलकर नवकार महामंत्र का जप किया। साथ ही उन्होंने नवकार महामंत्र के मूल उद्देश्य के बारे में बारीकी से जानकारी दी और लोगों को नकारात्मक चीजों से दूर रहने की सलाह दी। लेकिन क्या आपको पता है कि नवकार महामंत्र क्या है? आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
नवकार महामंत्र क्या है? (What is Navkar Mantra)
नवकार महामंत्र का संबंध जैन धर्म से है। आसान शब्दों में कहें तो जैन धर्म के अनुयायी सामुदायिक रूप से नवकार महामंत्र का जप करते हैं। इस महामंत्र का जप ध्यान से किया जाता है। नवकार महामंत्र को नमस्कार मंगल या परमेष्ठी मंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र जैन साधु और मुनियों को पूर्णतः समर्पित होता है।
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नवकार महामंत्र का महत्व (Navkar Mantra Importance)
- नमो अरिहंताणं
- नमो सिद्धाणं
- नमो आयरियाणं
- नमो उवज्झायाणं
- नमो लोए सव्व साहूणं।
- एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पावप्पणासणो
- मंगलाणं च सव्वसिं, पढमं हवइ मंगलं।
जैन धर्म के प्रमुख जानकारों की मानें तो नवकार महामंत्र में पहले पांच नमस्कार का वर्णन था। इसके बाद अन्य मंत्रों को जोड़ा गया है। इसका भावार्थ यह है कि मैं परमज्ञानी आत्मविजयी और सिद्धों को नमस्कार करता हूं। मैं सिद्धपुरुषों को नमन करता हूं। मैं दुनिया भर के सभी सिद्धपुरुषों को प्रणाम करता हूं। नवकार महामंत्र से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। नवकार महामंत्र परम मंगल और शुभ मंत्र है।
कितनी बार जप करना चाहिए? (Navkar Mantra Niyam)
जैन धर्म के जानकारों की मानें तो सम और विषम दोनों ही अनुपात में नवकार महामंत्र का जप कर सकते हैं। साधक क्रम संख्या एक से लेकर 25 तक अपनी सुविधा के अनुसार नवकार महामंत्र का जप या पाठ कर सकते हैं। हालांकि, नवकार महामंत्र के जप के समय एकाग्र ध्यान रहना अनिवार्य है। इसके लिए नवकार महामंत्र का जप करने से पहले ध्यान मुद्रा में बैठकर मन को एकाग्र कर लें। इसके बाद नवकार महामंत्र का जप करें।
नवकार महामंत्र का इतिहास
इतिहासकारों की मानें तो कई शिलालेखों में नवकार महामंत्र का उल्लेख है। प्राचीन समय में नवकार महामंत्र में कई नमस्कार का वर्णन है। सबसे प्राचीन शिलालेख में नमो अरहंताणं और नमो सवे सिद्धाणं का वर्णन है। इसके बाद के शिलालेखों में पूर्ण नवकार महामंत्र का उल्लेख मिला है। जैन धर्म का यह पवित्र मंत्र है। इसे सामुदायिक या व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। नवकार महामंत्र सिद्धिकारक मंत्र है। इस मंत्र के जप से समस्त विश्व का कल्याण होता है।
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