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    Vrishchika Sankranti 2025 Date: कब है वृश्चिक संक्रांति? यहां नोट करें सही तिथि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 08:00 PM (IST)

    सनातन धर्म में संक्रांति (Vrishchika Sankranti 2025) तिथि का खास महत्व है। इस दिन आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा की जाती है। ज्योतिष जॉब में सफलता पाने के लिए सूर्य मजबूत करने की सलाह देते हैं। वृश्चिक संक्रांति तिथि के दिन लाल रंग की चीजों का दान करें।

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    Vrishchik Sankranti 2025 Date: वृश्चिक संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में रविवार का दिन आत्मा के कारक सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सूर्य देव के निमित्त व्रत रखा जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से करियर और कारोबार संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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    surya dev

    ज्योतिषियों की मानें तो नवंबर महीने में सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान किया जाता है। साथ ही सूर्य देव की पूजा और साधना की जाती है। आइए, वृश्चिक संक्रांति की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-

    सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)

    वर्तमान समय में सूर्य देव वृश्चिक राशि में विराजमान हैं। वहीं, 16 नवंबर को सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 15 दिसंबर तक विराजमान रहेंगे। इसके अगले दिन सूर्य देव धनु राशि में गोचर करेंगे। इससे पहले सूर्य देव कई बार नक्षत्र परिवर्तन करेंगे।

    वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrishchika Sankranti Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, 16 नवंबर के दिन पुण्य काल सुबह 08 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक है। इसके साथ ही महा पुण्य काल दिन में 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक है। वृश्चिक संक्रांति के दिन पुण्य क्षण दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर है। साधक 16 नवंबर को सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा और साधना कर सकते हैं।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 27 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 54 बजे तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।