Surya Dev Upay: सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए करें ये सरल उपाय, करियर को मिलेगा नया आयाम

Updated: Fri, 17 Oct 2025 02:00 PM (IST)

ज्योतिष में सूर्य आत्मा, विचारों की पवित्रता और पिता से संबंधों का कारक है। इसके हल्के दोषों के लिए सूर्य को अर्घ्य देना, पिता से अच्छे संबंध रखना और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना जैसे उपाय हैं। गंभीर दोषों के लिए तांबे की प्रतिमा की पूजा, विशेष हवन और मंत्र जाप जैसे उपाय बताए गए हैं।

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Surya Dev Upay: सूर्य देव की महिमा

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। सूर्य आत्मा के कारक माने जाते हैं। यह हमारे विचारों की पवित्रता का भी संकेत देते हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति को समझने का सबसे सरल तरीका यह देखना है कि जातक का अपने पिता के साथ संबंध कैसा है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि जातक की हड्डियां मजबूत हैं या कमजोर।

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यदि सूर्य कुंडली में शुभ स्थिति में है तो जातक के नाखून मजबूत, गुलाबी और चमकदार होते हैं। वहीं, गंजापन या बालों का झड़ना सूर्य की कमजोरी का संकेत हो सकता है।

इसके अतिरिक्त, यदि आंखें ठीक हैं, तो सूर्य मजबूत होता है और यदि सूर्य कमजोर हो, तो आंखों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। यदि जातक का सरकार से संबंध अच्छा है या उसे सरकारी नौकरी प्राप्त है, तो सामान्यतः सूर्य को मजबूत माना जाता है।

कमजोर सूर्य हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकता है। जिन लोगों का सूर्य मजबूत होता है, उनका चेहरा तेजस्वी होता है। यदि रात में सोते समय मुंह खुला रहता है और लार बाहर आती है, तो इसे सूर्य की कमजोरी का लक्षण माना जा सकता है।

सूर्य के हल्के दोष के उपाय

  • प्रतिदिन सुबह सूर्य को “अर्घ्य” देना चाहिए इसमें रोली और थोड़े से मीठे पदार्थों को पानी में मिलाकर अर्घ्य दें।
  • बरगद के पेड़ को जल चढ़ाएं और उसकी तनों पर गीली मिट्टी से तिलक लगाएं।
  • बंदरों को गुड़ और गेहूं मिलाकर खिलाएं।
  • पिता से अच्छे संबंध बनाए रखें। जो जातक सूर्य को बलवान बनाना चाहता है, उसे नियमित रूप से पिता का आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • घर में बांस का पौधा लगाएं।
  • नशे से पूरी तरह बचें।
  • तांबे के पात्र में पानी रखें और उसी से पिएं।
  • बाजरे की रोटी खाएं यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक होती है।

सूर्य के गंभीर दोष के उपाय

  • सूर्य की प्रतिमा तांबे की धातु से बनवानी चाहिए। सूर्य देवता को कमल पर बैठे हुए, एक हाथ में कमल लिए हुए, कमल जैसी आभा से युक्त, सात घोड़ों वाले रथ पर सवार, दो सुंदर भुजाओं वाले रूप में ध्यान किया जाना चाहिए।
  • सूर्य देव की पूजा उन्हीं के रंग के फूलों और वस्त्रों, सुगंध, अगरबत्ती, दीपक, घी, गुग्गुल आदि के द्वारा करनी चाहिए। ग्रह के धातु की मूर्ति और उसके प्रिय भोजन को श्रद्धा के साथ दान करना चाहिए ताकि दोष का निवारण हो सके।
  • महर्षि पराशर ने कहा है कि सूर्य के मंत्र का 7000 बार जाप करना चाहिए।
  • हवन के लिए सूर्य का समिधा (लकड़ी) “आक” का होना चाहिए। हवन सामग्री को शहद, घी, दही या दूध के साथ मिलाकर आहुति देनी चाहिए और सूर्य के मंत्रों का 108 या 28 बार उच्चारण करते हुए हवन करना चाहिए।
  • इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। सूर्य के दोषों के निवारण हेतु गुड़ के साथ पका हुआ चावल अनिवार्य रूप से देना चाहिए। पूजा के बाद यजमान की श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा दी जानी चाहिए और ब्राह्मणों की संतुष्टि का ध्यान रखा जाना चाहिए।

मंत्र जाप

सामान्यतः नीचे दिए गए मंत्रों का जाप सूर्य से संबंधित दोषों को कम करने के लिए किया जाता है। बीज मंत्र को अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

सूर्य के लिए मंत्र: “ॐ सूर्याय नमः”
सूर्य के लिए बीज मंत्र: “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः

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लेखक: आनंद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।