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    Raviwar Ke Upay: रविवार के दिन इन कामों से मिलेगी सूर्य देव की कृपा, बढ़ेगा मान-सम्मान

    Updated: Sun, 01 Jun 2025 09:33 AM (IST)

    सूर्यदेव ग्रहों के राजा हैं और यह माना जाता है कि जिस जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है उसे जीवन में उच्च पद सफलता सम्मान और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। रोजाना सूर्य देव को अर्घ्य देना से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने का एक बेहतर उपाय है। चलिए जानते हैं सूर्य देव की कृपा प्राप्ति के उपाय।

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    Raviwar Ke Upay इन कार्यों से मिलेगी सूर्य देव की कृपा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव को आत्मा का कारक माना गया है। साथ ही रविवार का दिन सूर्य देव की आराधना के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसे में आप इस दिन पर कुछ विशेष कार्यों से सूर्य देव की कृपा के पात्र बन सकत हैं। साथ ही आपको करियर संबंधी समस्याओं से भी मुक्ति मिल सकती है।

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    जरूर करें ये काम

    सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और तांबे के लोटे में जल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस दौरान ॐ घृणि सूर्याय नमः या ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः मंत्र का जप करें। इसी के साथ रविवार के दिन सूर्य देव के मंत्रों और सूर्याष्टकम का पाठ भी जरूर करें। ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा जातक पर बनी रहती है।

    करें इन चीजों का दान

    रविवार के दिन सूर्य देव की कृपा प्राप्ति के लिए आप लाल रंग की वस्तुओं जैसे गुड़, नमक, मसूर की दाल आदि का दान कर सकते हैं। इससे जातक को सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है और उसके लिए सफलता प्राप्ति के योग बनने लगते हैं।

    सूर्य देव के मंत्र

    1. ॐ सूर्यनारायणायः नमः।

    2. ऊँ घृणि सूर्याय नमः

    3. सूर्य ग्रह के 12 मंत्र -

    ॐ आदित्याय नमः।

    ॐ सूर्याय नमः।

    ॐ रवेय नमः।

    ॐ पूषणे नमः।

    ॐ दिनेशाय नमः।

    ॐ सावित्रे नमः।

    ॐ प्रभाकराय नमः।

    ॐ मित्राय नमः।

    ॐ उषाकराय नमः।

    ॐ भानवे नमः।

    ॐ दिनमणाय नमः।

    ॐ मार्तंडाय नमः।

    यह भी पढ़ें - Surya Dev Puja: इस नियम से दें भगवान सूर्य को अर्घ्य, कार्यक्षेत्र में मिलेगी मनचाही सफलता

    4. सूर्याष्टकम (Suryashtakam)

    आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

    दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते

    सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

    श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।

    प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

    एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।