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    Surya Dev Puja Tips: इस नियम से करें भगवान सूर्य की आरती, धन-धान्य में होगी वृद्धि

    रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग रविवार के दिन का उपवास रखते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं उन्हें भौतिक सुखों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही सूर्य जैसा तेज प्राप्त होता है। ऐसे में दिन इस भगवान सूर्य की (Surya Dev Pujan) पूजा जरूर करें।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 04 May 2025 06:30 AM (IST)
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    Surya Dev Puja Tips: भगवान सूर्य देव की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों में भगवान सूर्य की पूजा का खास महत्व है। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक रविवार का व्रत रखते हैं और भक्ति भाव के साथ पूजा करते हैं, उन्हें सूर्य नारायण की कृपा मिलती है। ऐसे में सुबह उठकर स्नान करें। फिर भगवान सूर्य का ध्यान करें। इसके बाद लाल चंदन डालकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं। अंत में आरती (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti) करें।

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    पूजा समाप्त होने के बाद गुड़ का दान करें। ऐसा करने से धन-धान्य में वृद्धि होगी। इसके साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है, तो आइए यहां सूर्य देव की आरती पढ़ते हैं।

    ।।भगवान सूर्य देव की आरती।। (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।