क्यों देवी यमुना कहलाईं कालिंदी? भगवान कृष्ण से है कनेक्शन
देवी यमुना को कई नामों से जाना जाता है जिनमें से एक कालिंदी नाम भी है। कहते हैं यमुना तट पर श्रीकृष्ण का वास है। बता दें कि यमुना भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं और उनसे विवाह करना चाहती थीं। इसे लेकर कई सारी कथाएं (Why is Goddess Yamuna Called Kalindi?) प्रचलित है तो आइए यहां जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत की पवित्र नदियों में यमुना का विशेष स्थान है। इसे न केवल एक नदी के रूप में पूजा जाता है, बल्कि देवी का स्वरूप भी माना जाता है। यमुना माता को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें से एक प्रमुख नाम है 'कालिंदी'। क्या आप जानते हैं कि देवी यमुना को कालिंदी क्यों कहा जाता है और इसका भगवान कृष्ण (Lord Krishna) से क्या संबंध है? तो चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं।
ऐसे मिला देवी यमुना को कालिंदी का नाम (Why Yamuna Called Kalindi?)
कालिंदी शब्द की उत्पत्ति 'कलिंद' पर्वत से मानी जाती है। इसका मतलब है कि कलिंद पर्वत से उत्पन्न होने वाली। यही वजह है कि देवी को कालिंदी कहा जाता है। हालांकि इसके पीछे कई और भी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
भगवान कृष्ण से है खास कनेक्शन (There Is A Special Connection With Lord Krishna)
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमुना भगवान सूर्य की पुत्री और यमराज जी की बहन हैं। देवी यमुना भगवान विष्णु की परम भक्त थीं और उन्होंने कई जन्मों तक उन्हें पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें द्वापर युग में कृष्ण अवतार में प्राप्त होने का वरदान दिया था। कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो उनके पिता वासुदेव उन्हें एक टोकरी में रखकर यमुना नदी पार कर गोकुल ले गए थे। उस समय यमुना ने स्वयं श्रीकृष्ण के चरणों को स्पर्श किया था और उनका स्वागत किया था। ब्रज में भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाएं यमुना के तट पर ही रचीं।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अर्जुन के साथ यमुना के तट पर एक तपस्या करती हुई सुंदर कन्या को देखा। पूछने पर पता चला कि वह यमुना थीं, जो उनसे विवाह करने की इच्छा से तपस्या कर रही थीं। उनकी भक्ति और प्रेम को देखकर भगवान कृष्ण ने उनसे विवाह किया। इस कारण भी यमुना को कालिंदी के रूप में जाना जाता है, क्योंकि 'काली कमली वाले' श्रीकृष्ण से उनका संबंध जुड़ा है।
कालिंदी पवित्रता का प्रतीक
यमुना नदी न केवल भगवान कृष्ण की लीलाओं की साक्षी रही है, बल्कि यह उनके प्रेम और पवित्रता का भी प्रतीक मानी जाती है। वृंदावन और ब्रजमंडल में यमुना को मां के रूप में पूजा जाता है और इसकी पवित्रता का विशेष महत्व है। आज भी यमुना नदी के किनारे भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम की अनेक कथाएं गाई जाती हैं।
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