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    Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा की डेट से लेकर भोग तक दूर करें यहां सभी कन्फूयजन

    Updated: Sat, 03 May 2025 11:41 AM (IST)

    सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। इस दिन लोग सत्यनारायण व्रत रखते और गंगा स्नान भी करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima 2025) की डेट को लेकर थोड़ी कन्फ्यूजन है तो आइए इसकी सही डेट जानते हैं।

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    Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 कब है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह बेहद पवित्र दिन है। इस दिन को लेकर लोगों की कई सारी मान्यताएं हैं। यह दिन मां लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा कब मनाई जाएगी? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 डेट और टाइम (Jyeshtha Purnima 2025 Date And Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 11 जून को दोपहर 01 बजकर 13 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में 11 जून (Kab Hai Jyeshtha Purnima 2025) को ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।

    ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (Jyeshtha Purnima 2025 Significance)

    ज्येष्ठ पूर्णिमा का खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। विवाहित महिलाओं के लिए यह दिन और भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस मौके पर वे अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत भी रखती हैं।

    ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भोग (Jyeshtha Purnima 2025 Bhog List)

    ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को विशेष भोग अर्पित करने का विधान है। आमतौर पर इस दिन खीर का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस मौके पर फल, मिठाई और पंचामृत भी अर्पित किए जा सकते हैं। भोग में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करना चाहिए, क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है।

    कुछ क्षेत्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है, जिसमें महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। इस व्रत में भी विशेष भोग तैयार किए जाते हैं, जिनमें फल और मिठाई प्रमुख होते हैं।

    ज्येष्ठ पूर्णिमा मंत्र (Jyeshtha Purnima 2025 Puja Mantra)

    • शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

      लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

    • ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।