Vrishabha Sankranti पर जरूर करें सूर्य देव के मंत्रों का जप, मिलेगी मनचाही जॉब
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार साल में कुल 12 संक्रांति आती हैं जो सूर्य देव के 12 अलग-अलग राशियों में प्रवेश करने पर निर्धारित करती हैं। जब सूर्य देव वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे वृषभ संक्रांति (Vrishabh Sankranti 2025 Date) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सूर्य देव की कृपा के लिए बहुत ही शुभ है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान-दान, तप और श्राद्ध अनुष्ठान आदि करने से साधक को शुभ परिणाम मिलते हैं। ऐसे में आप वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की कृपा प्राप्ति के लिए उनके मंत्रों का जप कर सकते हैं। चलिए पढ़ते हैं सूर्य देव की कृपा प्राप्ति के मंत्र और इस दिन का शुभ मुहूर्त।
वृषभ संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrishabha Sankranti Muhurat)
15 मई के दिन सूर्य देव मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। इस प्रकार वृषभ संक्रांति का पर्व गुरुवार, 15 मई को मनाया जाएगा। ऐसे में इस दौरान शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेंगे -
- वृषभ संक्रांति पुण्य काल - प्रातः 5 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक
- वृषभ संक्रांति महा पुण्य काल - प्रातः 5 बजकर 30 मिनट से सुबह 7 बजकर 46 मिनट तक
- वृषभ संक्रांति का क्षण - रात 12 बजकर 21 मिनट तक
इस तरह करें पूजा
वृषभ संक्रांति पर सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। अब एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें हल्दी, रोली, कुमकुम, लाल फूल और अक्षत मिलाएं और सूर्य देव को सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय, "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जप करते रहें। साथ ही आप इस दिन पर सूर्य देव के मंत्रों के साथ-साथ सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। इससे आपको सूर्य देव की विशेष कृपा मिल सकती है।
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सूर्य देव के मंत्र -
1. ॐ सूर्याय नमः।
2. ॐ घृणिसूर्याय नमः।
3. ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
4. ॐ सूर्यनारायणायः नमः।
5. सूर्य गायत्री मंत्र -
ॐ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्॥
6. सूर्य आरोग्य मंत्र -
ॐ नमः सूर्याय शान्ताय सर्वरोगनिवारिणे।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देव जगत्पते॥
7. सूर्य प्रणाम मंत्र -
ॐ जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥
8. सूर्य कामनापूर्ति मंत्र -
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय
मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा॥
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