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    Vrishabha Sankranti पर शिव योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 23 Apr 2025 07:54 PM (IST)

    सनातन धर्म में वृषभ संक्रांति (Vrishabha Sankranti 2025 Importance) का खास महत्व है। यह पर्व पूर्णतया सूर्य देव को समर्पित होता है। सूर्य देव की पूजा करने से साधक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। मेष राशि के जातकों पर सूर्य देव की असीम कृपा बरसती है। इस दिन साधक पूजा के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करते हैं।

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    Vrishabha Sankranti 2025: सूर्य देव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 मई को वृषभ संक्रांति है। इस दिन आत्मा के कारक सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव 15 मई को मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य किया जाता है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो वृषभ संक्रांति के दिन दुर्लभ शिव योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को अमोघ और अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए, वृषभ संक्रांति का शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, वर्तमान समय में सूर्य देव मेष राशि में विराजमान हैं। वहीं, 15 मई के दिन सूर्य देव मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के वृषभ राशि में गोचर करने की तिथि पर वृषभ संक्रांति मनाई जाएगी।

    वृषभ संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrishabha Sankranti Shubh Muhurat)

    वृषभ संक्रांति के दिन पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक है। इस समय में साधक स्नान- दान, पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य कर सकते हैं।

    वृषभ संक्रांति शुभ योग (Vrishabha Sankranti Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो वृषभ संक्रांति के दिन दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। शिव योग का संयोग सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक है। इसके बाद सिद्ध योग का संयोग बनेगा। वृषभ संक्रांति के शुभ अवसर पर भद्रावास योग का संयोग बनेगा। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 05 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- शाम 09 बजकर 47 मिनट पर
    • चंद्रास्त- सुबह 06 बजकर 58 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 07 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।