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    Vrishabha Sankranti 2025: वृषभ संक्रांति कब है? नोट करें सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग

    ज्योतिषियों की मानें तो वृषभ संक्रांति (Vrishabha Sankranti 2025 Date) के दौरान विवाह करना शुभ होता है। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही करियर और कारोबार में जातक ऊंचा मुकाम हासिल करता है। ज्योतिष भी सूर्य उपासना करने की सलाह देते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 06 Apr 2025 07:28 PM (IST)
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    Vrishabha Sankranti 2025: वृषभ संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का खास महत्व है। यह पर्व सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं। वर्तमान समय में सूर्य देव मीन राशि में विराजमान हैं। जल्द ही सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाएगी।

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    आत्मा के कारक सूर्य देव के वृषभ राशि में गोचर करने की तिथि पर वृषभ संक्रांति मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर सूर्य देव की पूजा करेंगे। आइए, वृषभ संक्रांति की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आत्मा के कारक सूर्य देव 15 मई को राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव 15 मई को देर रात 12 बजकर 11 मिनट पर मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 14 जून तक रहेंगे। इसके अगले दिन सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे।

    वृषभ संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrishabha Sankranti Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 मई को वृषभ संक्रांति मनाई जाएगी। 15 मई को पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक है।

    वृषभ संक्रांति शुभ योग (Vrishabha Sankranti Shubh Yog)

    वृषभ संक्रांति पर शिव योग का संयोग बन रहा है। शिव योग सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक है। इसके बाद सिद्ध योग का संयोग बनेगा। सिद्ध योग का संयोग रात भर है। इसके साथ ही भद्रावास योग का संयोग बनेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 50 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इस समय में पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से साधक पर सूर्य देव की कृपा बरसेगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 05 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- शाम 09 बजकर 47 मिनट पर
    • चंद्रास्त- सुबह 06 बजकर 58 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 07 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 33 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 04 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।