Vivah Panchami 2024: विवाह पंचमी की पूजा में जरूर करें श्रीराम-जानकी स्तुति, मिलेगा मनचाहा जीवनसाथी
हिंदू धर्म में प्रभु राम और माता जानकी की जोड़ी को एक आदर्श जोड़ी माना जाता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपको भगवान राम जैसा पति या माता सीता जैसी पत्नी मिले तो इसके लिए आप विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की आराधना के दौरान श्री राम स्तुति और श्री जानकी स्तुति का पाठ कर सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। त्रेता युग में मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस साल शुक्रवार, 06 दिसंबर को विवाह पंचमी (Vivah Panchami 2024 Date) मनाई जाएगी। कई स्थानों पर इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम की बारात भी निकाली जाती है।
श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti)
॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास
विवाह पंचमी का दिन भगवान राम और माता सीता की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है। ऐसे में आप इस दिन प्रभु श्रीराम और माता जानकी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करें। इस दौरान श्री राम स्तुति और श्री जानकी स्तुति का भी पाठ करें। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
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श्री जानकी स्तुति (Sri Janaki Stuti)
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ।
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ॥ १॥
दारिद्र्यरणसंहत्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम् ।
विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम् ॥ २॥
भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ।
पौलस्त्यैश्वर्यसन्त्री भक्ताभीष्टां सरस्वतीम् ॥ ३॥
पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम् ।
अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम् ॥ ४॥
आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम् ।
प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम् ॥ ५॥
नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम् ।
नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम् ॥ ६॥
पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्षस्थलालयाम् ।
नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम् ॥ ७॥
आह्लादरूपिणीं सिद्धि शिवां शिवकरी सतीम् ।
नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम् ।
सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा ॥ ८॥
इति श्रीस्कन्दमहापुराणे सेतुमाहात्म्ये श्रीहनुमत्कृता
श्रीजानकीस्तुतिः सम्पूर्णा ।
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