Vishnu Mantra: भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद
धार्मिक मत है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। मां लक्ष्मी की कृपा से साधक को आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। जगत के पालनहार भगवान विष्णु के शरणागत रहने वाले (Lord Vishnu Puja Vidhi) साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु को गुरुवार का दिन बेहद प्रिय है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित पल की प्राप्ति के लिए गुरुवार का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि गुरुवार का व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
ज्योतिष शुभ कामों में सफलता पाने और करियर को नया आयाम देने के लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की सलाह देते हैं। कुंडली में गुरु कमजोर होने से जातक को जीवन में ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां गुरुवार के दिन व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को मनोवांछित फल मिलता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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विष्णु मंत्र
1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
4. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
5. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
6.मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
7. पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
8. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
9. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
10. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
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