Vinayaka Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी पर 'भद्रावास' समेत बन रहे हैं ये 3 अद्भुत संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल
धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो ...और पढ़ें

वार्षिक राशिफल 2026
जानें आपकी राशि के लिए कैसा रहेगा आने वाला नया साल।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Vinayaka Chaturthi 2023: सनातन धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूज्य हैं। हर शुभ अवसर पर सबसे पहले भगवान गणेश की जाती है। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम विघ्नहर्ता भी है। धार्मिक मत है कि संकटों को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो विनायक चतुर्थी पर दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही 3 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, विनायक चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
यह भी पढ़ें: इन 3 मंदिरों में हनुमान जी के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सभी दुख और संताप
.jpg)
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 दिसंबर को प्रातः काल 11 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का विधान है। अतः विनायक चतुर्थी 16 दिसंबर को मनाई जाएगी।
भद्रावास योग
ज्योतिषियों की मानें तो विनायक चतुर्थी पर 'भद्रावास' योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 15 मिनट से हो रहा है, जो संध्याकाल 08 बजे तक है। इस दौरान भद्रा पाताल में रहेंगी। शास्त्रों में निहित है कि भद्रा के पाताल में रहने के दौरान पृथ्वी के समस्त जीवों का कल्याण होता है। अतः ज्योतिष भद्रायोग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
विनायक चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 07 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 17 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 37 मिनट तक है। साथ ही इस दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 04 बजकर 09 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 17 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 37 मिनट तक है। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही विनायक चतुर्थी पर वणिज करण का भी योग बन रहा है।
यह भी पढ़ें: जानें, कब, कहां, कैसे और क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा और क्या है इसकी पौराणिक कथा?
डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।