नवरात्र की Vinayak Chaturthi पर गणेश जी को अर्पित करें ये चीजें, सदा बनी रहेगी कृपा
हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा के लिए खास है। शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। शारदीय नवरात्र के दौरान 25 सितंबर को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन आप गणेश जी की पूजा में उन्हें कुछ खास चीजें अर्पित कर सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) के रूप में मनाया जाता है, तो वहीं कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी के रूप में जानी जाती है। इस दिन साधक व्रत करते हैं और भगवान गणेश जी पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन पर आप भगवान गणेश को ये चीजें अर्पित कर उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Muhurat)
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 25 सितंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि के समापन 26 सितंबर को रात 9 बजकर 33 मिनट होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्र की अवधि के दौरान 25 सितंबर को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दौरान गणेश जी की पूजा का मुहूर्त ये रहने वाला है -
विनायक चतुर्थी मुहूर्त - सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक
दूर्वा अर्पित करने की विधि
विनायक चतुर्थी की पूजा में भगवान गणेश को 21 दूर्वा अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान गणेश की असीम कृपा प्राप्त की प्राप्ति होती है। इसके लिए विनायक चतुर्थी की पूजा में गणेश जी को दूर्वा अर्तिप करते समय 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि' मंत्र का जप करें। ऐसा करने से विघ्नहर्ता आरके सभी विघ्नों को हर लेते हैं। साथ ही श्रीगणेश जी प्रसन्न होकर साधक को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं।
लगाएं इन चीजों का भोग
भोग के रूप में आप गणेश जी को मोदक के साथ-साथ केले, मौसमी फल, बेसन के लड्डू, खीर, गुड़, नारियल, मीठा पूरन पोली आदि का भोग लगा सकते हैं। इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
अर्पित करें ये चीजें
गणेश जी की पूजा में आप उन्हें दूर्वा (दूब), सिंदूर, जनेऊ, सुपारी, अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा चतुर्थी की पूजा के दौरान गणेश जी को गेंदे, गुड़हल और अपराजिता के फूल भी चढ़ा सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें, कि तुलसी का पत्ता गणेश जी अर्पित नहीं करना चाहिए।
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