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    Tula Sankranti 2025: अक्टूबर महीने में कब है तुला संक्रांति? नोट करें सही मुहूर्त और योग

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 01:00 PM (IST)

    सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव (Tula Sankranti 2025) को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। ज्योतिष जॉब में मनमुताबिक सफलता पाने के लिए कुंडली में सूर्य मजबूत करने की सलाह देते हैं। वहीं लाल रंग की चीजों का दान करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।

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    Tula Sankranti 2025: तुला संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का खास महत्व है। यह पर्व हर महीने सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान किया जाता है। इसके साथ ही पूजा, जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है।

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    धार्मिक मत है कि आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा करने से जातक को आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। साथ ही मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए, तुला संक्रांति का सही तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

    सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, वर्तमान समय में सूर्य देव कन्या राशि में विराजमान हैं। वहीं, 17 अक्टूबर को सूर्य देव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 15 नवंबर तक विराजमान रहेंगे। इससे पहले सूर्य देव 24 अक्टूबर को स्वाति और 06 नवंबर को विशाखा नक्षत्र में गोचर करेंगे।

    तुला संक्रांति शुभ मुहूर्त (Tula Sankranti Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, 17 अक्टूबर को के दिन पुण्य काल सुबह 10 बजकर 02 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है। इसके साथ ही महा पुण्य काल सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक है। तुला संक्रांति के दिन पुण्य क्षण दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर है। साधक 17 अक्टूबर को सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की उपासना कर सकते हैं।

    तुला संक्रांति शुभ योग (Tula Sankranti Shubh Yog)

    तुला संक्रांति के दिन शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग देर रात तक है। इसके साथ ही शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान भास्कर की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल मिलता है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 18 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 29 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजे से 01 बजकर मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 बजे तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।