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    Nahay Khay 2025 Date: कब है नहाय-खाय? जानें डेट और टाइम से लेकर सभी अपडेट्स

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 02:34 PM (IST)

    छठ पूजा का आरंभ 25 अक्टूबर से होगा। यह पर्व सूर्य देव और छठी माता को समर्पित है। नहाय-खाय के दिन (Nahay Khay 2025) व्रती पवित्र नदी में स्नान कर खुद को शुद्ध करते हैं। यह व्रत का पहला दिन होता है जब साधक विभिन्न तरह के अनुष्ठान का पालन करते हैं।

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    Nahay Khay 2025 Date: नहाय-खाय का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। छठ पूजा 2025 का महापर्व 25 अक्टूबर, 2025 से शुरू होगा, जिसका पहला दिन नहाय-खाय है। यह चार दिवसीय पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है और इसमें कठोर व्रत और नियमों का पालन किया जाता है, तो आइए इस पर्व (Chhath Puja 2025 Date) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    कब है नहाय खाय? (Nahay Khay 2025 Date And Time)

    इस साल 25 अक्टूबर को नहाय खाय है। इसके बाद 26 अक्टूबर को 'खरना' और 27 अक्टूबर को 'डूबते सूर्य का अर्घ्य' दिया जाएगा। वहीं, इसका समापन 28 अक्टूबर को 'उगते सूर्य के अर्घ्य' के साथ होगा।

    नहाय-खाय (पहला दिन)

    छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती किसी पवित्र नदी में स्नान कर खुद को शुद्ध करते हैं। इसके बाद, वे शुद्ध और सात्विक भोजन तैयार करते हैं, जिसमें मुख्य रूप से कद्दू-भात और चने की दाल शामिल होती है। इस भोजन को केवल एक बार ही खाया जाता है। यह दिन शरीर और मन को शुद्ध करने का पहला कदम है, ताकि व्रती अगले तीन दिनों के कठिन व्रत के लिए तैयार हो सकें।

    सूर्य देव को अर्घ्य देने का मंत्र (Chhath Puja 2025 Puja Mantra)

    • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।
    • ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।।
    • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
    • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर।।

    इन बातों का दें ध्यान (Chhath Puja 2025 Rules)

    • इस दौरान तामसिक चीजों से परहेज पूरी तरह करें।
    • पूजा करते समय भगवान सूर्य और छठी माता को दूध अर्पित करें।
    • रात्रि के समय व्रत कथा पढ़ें या सुनें, क्योंकि यह छठ पूजा के दौरान जरूरी होता है।
    • पूजा के लिए खराब टोकरी का प्रयोग न करें।
    • प्रसाद को सबसे पहले भगवान सूर्य व छठी माता को ही अर्पित करें, इसके बाद व्रती व परिवार के अन्य सदस्य ग्रहण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।