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    Vinayak Chaturthi 2025: आज है साल की पहली चतुर्थी, यहां जानें व्रत से जुड़ी पूरी डिटेल्स

    Updated: Fri, 03 Jan 2025 09:21 AM (IST)

    विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025 Date) का दिन बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इस उपवास का पालन करने से भगवान गणेश खुश होते हैं और सभी संकट को दूर करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार यह 3 जनवरी यानी आज के दिन मनाई जा रही है तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

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    Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। विनायक चतुर्थी का दिन सभी बप्पा के भक्तों के लिए खास होता है। इसे वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व प्रत्येक माह के चौथे दिन मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लोग उपवास, प्रार्थना और कई सारे अनुष्ठान का पालन करते हैं। आज साल की पहली चतुर्थी मनाई जा रही है, जिसका अपना एक खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत (Vinayak Chaturthi Importance) रखने से ज्ञान, धैर्य और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    बप्पा का प्रिय भोग - मोदक, लड्डू और केसर की खीर।

    प्रिय फूल - गुड़हल।

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    पूजा मुहूर्त (Vinayak Chaturthi 2025 Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 07 बजकर 14 मिनट से रात 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

    वहीं, निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 04 जनवरी रात 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य कर सकते हैं।

    विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Vinayak Chaturthi 2025 Puja Vidhi)

    सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा घर को साफ करें। एक वेदी पर बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें। बप्पा का पंचामृत, गंगाजल और शुद्ध जल से अभिषेक करें। उन्हें पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनाएं और उन्हें खूब सजाएं। कुमकुम का तिलक लगाएं। केले, मोदक और लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद उनके सामने घी का दीपक जलाएं। गणेश जी के विशेष मंत्रों, चालीसा और स्तोत्रों का पाठ करें। आरती से पूजा को पूरी करें। भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यकता की चीजों का दान करें। अगले दिन व्रत का पारण प्रसाद से करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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