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    Vinayak Chaturthi पर गणेश जी की पूजा के समय करें ये आरती, धन-दौलत से भर जाएगा घर

    Updated: Fri, 03 Jan 2025 06:30 AM (IST)

    विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) का दिन बेहद खास होता है। इस व्रत का अपना धार्मिक महत्व है। कहते हैं कि इस कठिन व्रत को रखने सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है। पंचांग के अनुसार इस बार यह व्रत 3 जनवरी यानी आज रखा जा रहा है। इस दिन को और भी खास बनाने के लिए बप्पा की भव्य आरती करें।

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    Vinayak Chaturthi 2025: गणेश जी की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का पर्व बेहद ही पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है। विनायक चतुर्थी हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह 3 जनवरी, 2025 यानी आज के दिन मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन (Vinayak Chaturthi 2025) श्रद्धा के साथ व्रत रखने से परिवार में खुशहाली आती है। ऐसे में सुबह जल्दी उठें और स्नान करें। पीले रंग के कपड़े पहनें और मंदिर को साफ करें। फिर गणेश भगवान का अभिषेक करें।

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    उन्हें फूल, फल, मोदक धूप, दीप और दुर्वा आदि चढ़ाएं। कपूर और घी के दीपक से गणपति महाराज की भावपूर्ण आरती करें, जो इस प्रकार है।

    ॥श्री गणेश जी की आरती॥ (Ganesh Ji ki Aarti)

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

    माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

    लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

    कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    ।।मां लक्ष्मी की आरती।। (Lakshmi ji ki Aarti)

    ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

    तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

    सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

    जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    दौरान मुख्य द्वार खुला रखा जाता है।

    तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

    सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

    खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

    रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

    उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

    ओम जय लक्ष्मी माता॥

    यह भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी पर करें बप्पा की खास पूजा, हर काम होगा सफल

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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