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    Vinayak chaturthi 2025: ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी पर करें बप्पा की भव्य आरती, घर में होगा रिद्धि-सिद्धि का वास

    Updated: Fri, 30 May 2025 06:30 AM (IST)

    आज ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) मनाई जा रही है। सनातन धर्म में यह पर्व बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गणपति महाराज की पूजा और व्रत करने से लाभ होता है। ऐसी मान्यता है कि इस अवसर पर गणेश जी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

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    Vinayak chaturthi 2025: गणेश जी की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी को सनातन धर्म में बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है। यह हर मास के शुक्ल पक्ष में आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार यह आज यानी 30 मई, 2025 दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इस दिन गणपति महाराज की पूजा-अर्चना और व्रत करना लाभदायी माना गया है। कहते हैं इस मौके (Vinayak chaturthi 2025) पर बप्पी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके साथ ही ज्ञान और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, इस दिन भगवान गणेश की आरती जरूर करनी चाहिए, जो इस प्रकार हैं।

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    ॥ श्री गणेशजी की आरती ॥

    जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

    एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।

    माथे पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी॥

    पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।

    लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥

    जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

    अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।

    बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥

    'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।

    माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

    दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।

    कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥

    जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

    ।।गणेश जी की आरती।।

    सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

    नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

    सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

    कंठी झलके माल मुकताफळांची

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति

    जय देव जय देव

    रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

    चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

    हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

    रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति

    जय देव जय देव

    लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

    सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

    दास रामाचा वाट पाहे सदना

    संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति

    जय देव जय देव

    शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

    दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को

    हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को

    महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

    जय जय जय जय जय

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय देव जय देव

    अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी

    विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

    कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी

    गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

    जय जय जय जय जय

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय देव जय देव

    भावभगत से कोई शरणागत आवे

    संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

    ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

    गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय देव जय देव

    सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

    नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

    सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

    कंठी झलके माल मुकताफळांची

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति

    जय देव जय देव।।

    यह भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2025: जानें विनायक चतुर्थी पर दूर्वा चढ़ाने का मंत्र और नियम

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।