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    Vinayak Chaturthi 2024: कब है विनायक चतुर्थी? ये है गणेश जी को प्रसन्न करने की बेहद सरल पूजा विधि

    Updated: Mon, 04 Nov 2024 11:52 AM (IST)

    कार्तिक माह में विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2024) का व्रत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाएगा। इस दिन चंद्रमा को देखना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना (Lord Ganesh Puja Vidhi) करना शुभ माना जाता है।

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    Lord Ganesh: यहां पढ़ें विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (Pic Credit- Freepik )

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान गणेश जी की विधिपूर्वक उपासना करने से जातक के जीवन में आ रहे संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कार्तिक माह की विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2024) डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।  

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    विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 04 नवंबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 06 नवंबर को रात्रि 12 बजकर 16 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में विनायक चतुर्थी 05 नवंबर को मनाई जाएगी।

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 36 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 05 मिनट पर

    चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर

    चंद्रास्त- रात 08 बजकर 09 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 52 मिनट से 05 बजकर 38 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

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    विनायक चतुर्थी पूजा विधि

    इस दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवताओं के ध्यान से करें। स्नान करने के बाद घर और मंदिर की सफाई करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजमान करें। गणपति को फूल और धूप समेत आदि चीजें अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर आरती करें। इसके बाद मंत्रों और गणेश चालीसा का पाठ करें। गणेश जी से सुख, समृद्धि और धन में वृद्धि की प्रार्थना करें। गणेश जी को फल, मोदक और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।