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    Varuthini Ekadashi 2025: वरूथिनी एकादशी पर गलती से भी न खाएं चावल, मिल सकते हैं बुरे परिणाम

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 01:24 PM (IST)

    वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इसका पालन करने से सभी पापों का नाश होता है। इस व्रत के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है और चावल का सेवन न करना इनमें से एक प्रमुख नियम है। ऐसे में वरुथिनी एकादशी के दिन भूलकर भी चावल न खाएं।

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    Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी का धार्मिक महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वरुथिनी एकादशी का हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। यह वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस उपवास का पालन करने से भक्तों को पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, इस दिन (Varuthini Ekadashi 2025) को लेकर कुछ प्रमुख नियम बनाए गए हैं, जिनमें से एक प्रमुख नियम चावल का सेवन न करना भी है, तो आइए इसके पीछे के नियम के बारे में जानते हैं।

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    वरुथिनी एकादशी का धार्मिक महत्व (Varuthini Ekadashi 2025 Significance)

    वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को कन्यादान के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है। यह व्रत दुख और दरिद्रता को दूर करने वाला माना गया है और इसके प्रभाव से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    एकादशी पर क्यों नहीं खाते हैं चावल? (Varuthini Ekadashi 2025 Par Kyon Nahi Khaten Chawal?)

    धार्मिक मान्यता

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाना पाप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से व्यक्ति को रेंगने वाले जीव के रूप में जन्म लेना पड़ता है। इसलिए, इस दिन चावल से परहेज करना जरूरी है ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके और किसी भी नकारात्मक परिणाम से बचा जा सके।

    व्रत के नियम (Varuthini Ekadashi 2025 Rules)

    वरुथिनी एकादशी का व्रत दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरू हो जाता है। इस दिन तामसिक भोजन जैसे - मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। पूरे दिन निजर्ला या फलाहार पर व्रत करें। शाम को भगवान विष्णु की आरती करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद ही व्रत का पारण करें।

    गलती से चावल खाने पर क्या करें (Galti Se Chawal Khane Par Kya Karen?)

    अगर वरुथिनी एकादशी के दिन गलती से आपने चावल खा लिया है, तो इसका नकारात्मक प्रभाव कम करने के लिए तुरंत भगवान विष्णु से अपनी भूल के लिए क्षमा याचना करें और क्षमका के अनुसार दान-पुण्य करें। इसके बाद एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करें। ऐसा करने से इसके अशुभ प्रभाव को आसानी से कम किया जा सकता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।