Varahi Devi: अद्भुत है वाराही देवी की कथा, देती हैं सभी दुखों से मुक्ति का वरदान
भगवान विष्णु के वराह अवतार के बारे में तो सभी जानते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी वाराही देवी के बारे में सुना है। आज हम आपको उन्हीं से जुड़ी एक कथा बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं देवी के स्वरूप (Varahi Devi katha) और उनके शक्तिपीठ के बारे में, जिससे जुड़ी मान्यताएं बहुत ही अद्भुत हैं।

Varahi Devi katha in hindi
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म पुराणों में कई देवी-देवताओं का वर्णन मिलता है, जिनकी उत्पत्ति की कथा सभी को हैरत में डाल देती हैं। आज हम आपको आदिशक्ति के एक ऐसे स्वरूप में के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं और हमारे अहंकार का नाश करती हैं। इसके साथ ही देवी का यह स्वरूप साधक को असीम सुरक्षा व सभी दुखों से मुक्ति भी प्रदान करता है।
कौन हैं वाराही देवी?
देवी भागवत, मार्कण्डेय और वराह पुराण में वाराही देवी का वर्णन मिलता है। जिसमें यह बताया गया है कि उन्होंने अंधकासुर, रक्तबीज, शुंभ और निशुंभ जैसे असुरों के विनाश में भाग लिया था। वाराही देवी एक उग्र स्वरूप हैं, जिन्हें भगवान विष्णु के वराह अवतार की शक्ति माना जाता है। इसके साथ ही वह मां वाराही असुरों से युद्ध के समय देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी की सेना की सेनापति भी थीं। कथा के अनुसार, देवी ललिता के धनुष और बाण से पांच अलग-अलग शक्तियां उत्पन्न होती हैं, जिनसे मिलकर देवी वाराही का निर्माण हुआ।
देवी के स्वरूप की बात करें, तो भगवान विष्णु के वराह अवतार की तरह ही इनका मुख एक वराह (सूअर) का और शरीर स्त्री का है। वहीं देवी भैंसे (महिष) पर विराजमान हैं। देवी की आठ भुजाएं हैं, जिसमें उन्होंने तलवार, बड़ा दंड धारण, ढाल और हल आदि धारण किए हुए हैं। माना जाता है कि वाराही देवी की उपासना से जातक को सुरक्षा, शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी वाराही अपने सुरक्षात्मक स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। बाधाओं और बुराइयों पर विजय पाने के लिए उनकी पूजा की जाती है।

(Picture Credit: Freepik)
कहां स्थित है शक्तिपीठ
देवभूमि उत्तराखंड में वाराही देवी का शक्तिपीठ स्थापित है, जहां माता वाराही के दो पूजा स्थल हैं - एक मां गुह्येश्वरी और दूसरा मां गुप्तेश्वरी। इस स्थान पर माता वाराही को सुख-संपत्ति और शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने भी इस स्थान पर आकर देवी का आशीर्वाद लिया था। साथ ही इस शक्तिपीठ को लेकर यह भी मान्यता है कि इस शक्तिपीठ के दर्शन मात्र से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनके आयु तथा धन में वृद्धि होती है।
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