Seven Thakur Ji: कौन हैं वृंदावन के सात ठाकुर जी? जिनके दर्शन किए बिना अधूरी है यह धर्म यात्रा
वृंदावन भगवान कृष्ण की लीलाभूमि है जहां हर दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां के सात ठाकुर जी (Seven Thakur Ji Of Vrindavan) के दर्शन के बिना वृंदावन की यात्रा अधूरी मानी जाती है। कहा जाता है कि जो साधक इन मंदिरों के दर्शन करते हैं उन्हें भगवान कृष्ण की विशेष कृपा मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृंदावन को भगवान कृष्ण की लीलाभूमि माना जाता है। इस पवित्र स्थान पर श्री कृष्ण ने अपना बचपन बिताया और रासलीलाएं कीं। हर दिन यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वृंदावन की यह यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक आप यहां के सात प्रमुख ठाकुर जी (Seven Thakur Ji) के दर्शन न कर लें।
ये सात मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत भी बेहद खास है, तो आइए इनसे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -
वृंदावन के सात प्रमुख ठाकुर जी (Seven Thakur Ji Of Vrindavan)
- श्री राधा-मदन मोहन जी - यह वृंदावन का सबसे प्राचीन मंदिर है। इसका निर्माण मुगल शासक अकबर के समय में हुआ था। यह मंदिर प्रेम और भक्ति का प्रतीक है और माना जाता है कि यहां दर्शन करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
- श्री राधा-गोविंद देव जी - यह मंदिर जयपुर के राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था। यह अपनी शानदार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है।
- श्री राधा-गोपीनाथ जी - इस मंदिर का निर्माण भी गोकुलनाथ जी द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर प्रेम और भक्ति के गहरे संबंधों का प्रतीक है।
- श्री राधा-दामोदर जी - इस मंदिर में श्री रूप गोस्वामी जी ने अपनी साधना की थी। इस मंदिर में भगवान कृष्ण के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है। यहां दर्शन करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है।
- श्री राधा-गोकुलानंद जी - यह मंदिर श्री लोकनाथ गोस्वामी जी द्वारा स्थापित किया गया था। इस मंदिर में राधारानी के साथ गोकुलानंद जी के बाल रूप की पूजा होती है, जो भक्तों को वात्सल्य प्रेम का अनुभव कराती है।
- श्री राधा-बांके बिहारी जी - यह वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध और मुख्य मंदिर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की तिरछी मुद्रा वाली मूर्ति स्थापित है, जिसे बांके बिहारी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में दिन में केवल कुछ ही क्षणों के लिए पर्दा हटाया जाता है, जिसे 'झलक' कहते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि भगवान की मोहक छवि से कोई भी मोहित हो सकता है।
- राधारमण जी - यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां राधारानी का विग्रह नहीं, बल्कि उनके लिए एक सिंहासन रखा गया है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि राधारानी स्वयं राधारमण के साथ मंदिर में उपस्थित रहती हैं। यह वृंदावन के सात प्रमुख मंदिरों में से एक है और गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
दर्शन का महत्व
इन सात मंदिरों के दर्शन करने से न केवल भगवान कृष्ण के विभिन्न स्वरूपों को जानने का मौका मिलता है, बल्कि मुरलीधर की विशेष कृपा मिलती है। इस पवित्र की हर मंदिर की अपनी एक अलग कहानी और महत्व है, जो आपकी यात्रा को और भी विशेष बना देता है। इन मंदिरों के दर्शन के बिना वृंदावन की यात्रा अधूरी है क्योंकि ये मंदिर इस पवित्र नगरी के हृदय और आत्मा हैं। ऐसे में अगर आप वृंदावन की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन सात प्रमुख ठाकुर जी के दर्शन जरूर करें।
यह भी पढ़ें- Banke Bihari Temple: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं है घंटी? बजाना भी है मना!
यह भी पढ़ें: Parivartini Ekadashi 2025: परिवर्तिनी एकादशी पर इन चीजों के दान से दूर होगी घर की दरिद्रता
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।