Vaishno Devi Katha: भगवान राम ने माता वैष्णो को दिया था वचन, जिसके पूरा होने का आज भी है इंतजार
त्रेतायुग और द्वापर युग में कई प्रेरक कथाएं मिलती हैं। आज हम आपको रामायण काल से जुड़ी एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जिसके बारे में यह कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने मां वैष्णो देवी को एक वचन दिया था जिसके पूरे होने की प्रतीक्षा माता वैष्णो आज भी कर रही हैं। चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माता वैष्णो देवी को त्रिकुटा नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर की त्रिकूट पहाड़ियों पर मां वैष्णो का धाम स्थापित है। वैष्णो देवी (Vaishno Devi Mandir) धाम की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। कठिन चढ़ाई होने के बाद भी लाखों की संख्या में यहां भक्त माता के दर्शन के लिए पहुचते हैं और दर्शन मात्र से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।
मिलती है यह कथा
कथा के अनुसार, धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु के अंश से एक कन्या का जन्म दक्षिणी भारत में रत्नाकर परिवार में हुआ, जिसका नाम त्रिकूटा रखा गया। छोटी उम्र में जब त्रिकूटा को ज्ञात हुआ कि भगवान विष्णु का जन्म श्रीराम के रूप में हो चुका है, तब उन्होंने राम को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या शुरू कर दी। कथा के अनुसार, जब माता सीता के हरण के बाद भगवान राम उनकी खोज में निकले, तो वह माता सीता को ढूंढते-ढूंढते रामेश्वरम तट पर पहुंच गए, जहां उनकी भेट त्रिकूटा से हुई। तब देवी त्रिकूटा ने राम जी को पति रूप में प्राने की इच्छा प्रकट की।
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प्रभु की प्रतिक्षा में काटा जीवन
तब भगवान श्रीराम ने वैष्णो देवी से कहा था कि उन्होंने इस अवतार में पत्नी व्रत लिया हुआ है और उनका विवाह सीता जी से हो चुका है। तब त्रिकुटा के बहुत अनुरोध करने पर भगवान राम ने उन्हें यह वचन दिया कि लंका से लौटते समय वह उनके पास आएंगे। अगर आप मुझे उस रूप में पहचान लेती हैं, तो मैं आपसे विवाह कर लूंगा। इसके बाद त्रिकुटा, प्रभु श्रीराम का इंतजार करने लगी।
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दिया था ये वचन
अपना वचन निभाते हुए प्रभु श्रीराम लंका से लौटते समय एक साधु का वेष धारण कर देवी त्रिकूटा से मिलने पहुचें, लेकिन भगवान राम की माया से त्रिकूटा उन्हें पहचान नहीं पाई। जब प्रभु श्रीराम अपने असली रूप में आए, तब त्रिकुटा काफी निराश हो गई। इसपर भगवान श्रीराम ने देवी त्रिकूटा से कहा कि आप त्रिकूटा पर्वत पर एक दिव्य गुफा में तीनों महाशक्तियों, महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती पिण्डी रूप में विराजमान होंगी। यहां आपको वैष्णों देवी के नाम से जाना जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी वचन दिया था कि कलियुग में वे कल्कि अवतार में आएंगे और तब उनका विवाह वैष्णों देवी से होगा।
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