Hanuman Setu: लखनऊ में है बजरंगबली का सबसे बड़ा दरबार, नीम करौली बाबा से जुड़ा है इतिहास
हनुमान सेतु सबसे प्रसिद्ध धाम में से एक है। यह लखनऊ के गोमती नदी के किनारे स्थित है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना नीम करौली बाबा ने कराई थी। मान्यताओं के अनुसार इस धाम में एक बार दर्शन करने से जीवन की सभी बाधाओं का अंत हो जाता है। इसके साथ ही भय-बाधाओं से मुक्ति मिलती है तो चलिए यहां (Hanuman Setu) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नीम करौली बाबा जिन्हें नीब करौरी बाबा के नाम से भी जाना जाता है, इन्हें कलयुग में हनुमान जी का अवतार माना जाता है। इनके भक्त इन्हें महाराज जी के नाम से भी बुलाते हैं। इनका आश्रम कैंची धाम नैनीताल में है, लेकिन लखनऊ के हनुमान सेतु (Hanuman Setu) में भी बाबा नीम करौली बाबा का आश्रम है, जो कि अब एक बहुत बड़े मंदिर में बदल चुका है और इसे हनुमान सेतु मंदिर के नाम से जाना जाता है। लखनऊ के गोमती नदी के किनारे स्थित हनुमान सेतु मंदिर एक प्रचलित स्थान है, जो कि श्रद्धा और विश्वास का जीवंत उदाहरण है। यहां पूरे भारत से लोग दर्शन के लिए जाते हैं।
नीम करौली बाबा से है गहरा संबंध
इस मंदिर की स्थापना नीम करौली बाबा ने कराई थी। यहां हनुमान जी की सफेद संगमरमर की मूर्ति स्थापित है, जो कि काफी विशाल है। हनुमान सेतु मन्दिर (Hanuman Setu Lucknow) की स्थापना से कुछ साल पूर्व गोमती का जल स्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बना रहता था। 1960 में बाढ़ के बाद बाबा और मन्दिर के पास रहने वालों से स्थान छोड़ने को कहा गया,
लेकिन चेतावनी के बावजूद बाबा नीम करौली नहीं गए। उन्होंने कहा कि “मंदिर नहीं हटेगा गोमती चाहे तो ले जाये” मंदिर के पीछे बाबा की कुटिया बाढ़ में बह गई लेकिन मंदिर को कुछ न हुआ।
यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: साल के अंतिम प्रदोष व्रत पर ऐसे प्राप्त करें शिव कृपा, मिलेगी सभी कार्यों में सफलता
हनुमान सेतु से जुड़ी प्रमुख बातें
कुछ समय बाद सरकार ने पुल का निर्माण शुरू कर दिया। पुल जब बन रहा था, तो इसके निर्माण में काफी बाधाएं आने लगी। बिल्डर काफी परेशान होने लगे। बाद में लोगों की राय पर बिल्डर ने बाबा (Neem Karauli Baba) से मदद मांगी और उपाय पूछा तो बाबा ने कहा कि ''पुल बनाने से पहले वहां हनुमान जी का मन्दिर बनाओ।''
फिर हनुमान जी की कृपा से एक तरफ मन्दिर निर्माण तो दूसरी तरफ पुल का निर्माण बिना किसी बाधा के तैयार होने लगा। 26 जनवरी 1967 को मन्दिर का शुभारम्भ हुआ और आज भी इसका वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
यह भी पढ़ें: Shani Trayodashi 2024 Samagri List: इन चीजों के बिना अधूरी है शनि त्रयोदशी की पूजा, जरूर करें शामिल
अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।