Vaishakh Month 2025: वैशाख में कब है वरूथिनी एकादशी और अक्षय तृतीया, जानिए अन्य जरूरी व्रत-त्योहार
हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना वैशाख (Vaishakh month 2025) का होता है। इस महीने में भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना गया है। हिंदू धर्म के व्रत त्योहार हिंदू पंचांग की तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि वैशाख माह में कौन कौन से प्रमुख व्रत त्योहार मनाए जाएंगे।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रविवार 13 अप्रैल से वैशाख माह की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन 12 मई को होगा। इस माह का विशेष माना गया है, क्योंकि इस माह में अक्षय तृतीया और बुद्ध पूर्णिमा से लेकर वरूथिनी एकादशी और गंगा सप्तमी जैसे प्रमुख व्रत-त्योहार (Hindu festivals in Vaishakh) मनाए जाएंगे।
वैशाख माह के व्रत-त्योहार (Vaishakh month 2025 festival dates)
- 13 अप्रैल 2025, रविवार - वैशाख माह शुरू
- 14 अप्रैल 2025, सोमवार - मेष संक्रांति
- 16 अप्रैल 2025, बुधवार - विकट संकष्टी चतुर्थी
- 20 अप्रैल 2025, रविवार - मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, कालाष्टमी
- 24 अप्रैल 2025, गुरुवार - वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025)
- 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार - प्रदोष व्रत
- 26 अप्रैल 2025, शनिवार - मासिक शिवरात्रि
- 27 अप्रैल 2025, रविवार - वैशाख अमावस्या
- 30 अप्रैल 2025, बुधवार - अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025 celebration)
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- 1 मई 2025, गुरुवार - विनायक चतुर्थी
- 3 मई 2025, शनिवार - गंगा सप्तमी
- 5 मई 2025, सोमवार - सीता नवमी
- 8 मई 2025, गुरुवार - मोहिनी एकादशी
- 9 मई 2025, शुक्रवार- प्रदोष व्रत
- 11 मई 2025, रविवार - नरसिंह जयंती
- 12 मई 2025, सोमवार - बुद्ध पूर्णिमा
(Picture Credit: Freepik)
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वैशाख माह में क्या करें
वैशाख का महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना गया है। इसी के साथ इस महीने में तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है। ऐसा करने से साधक के घर-परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है। इसके अलावा वैशाख माह (Vaishakh month 2025) में पवित्र नदी में स्नान करने और गरीबों व जरुरतमंद लोगों में दान करने का भी विशेष महत्व माना गया है।
करें इन मंत्रों का जप
1. शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
2. ॐ नमोः नारायणाय॥
3. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
4. विष्णु गायत्री मंत्र -
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
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