Weekly Vrat Tyohar 14 To 20 April 2025: कब है मेष संक्रांति और संकष्टी चतुर्थी? जानें व्रत की सही डेट
सनातन धर्म में वैशाख माह का विशेष महत्व है। इस माह में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि पूजा और अन्न एवं धन का दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि वैशाख माह के पहले सप्ताह में (Weekly Vrat Tyohar 2025) कौन-से व्रत और पर्व मनाए जाएंगे?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख माह की शुरुआत आज यानी 13 अप्रैल से हो गई है और अब इस माह का नया सप्ताह भी कुछ ही समय में शुरू होने वाला है। धार्मिक दृष्टि से वैशाख माह के पहले सप्ताह को अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस सप्ताह में कई व्रत और पर्व मनाए जाएंगे, जिनका विशेष महत्व है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि इस सप्ताह में पड़ने व्रत-त्योहारों (Weekly Vrat Tyohar 2025) की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
मेष संक्रांति 2025 शुभ मुहूर्त (Meen Sankranti 2025 Shubh Muhurat)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सूर्य देव के राशि परिवर्तन की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस बार 14 अप्रैल को मेष संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
विकट संकष्टी चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त (Vikat Sankashti Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगी। इस प्रकार 16 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
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मासिक जन्माष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त (Masik Krishna Janmashtami 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 अप्रैल को शाम 07 बजे शुरू होगी और 21 अप्रैल को शाम 06 बजकर 58 पर खत्म होगी। अष्टमी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा निशा काल में करने का विधान है। ऐसे में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 20 अप्रैल को मनाई जाएगी। इसी दिन कालाष्टमी का पर्व भी भी मनाया जाएगा। कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
वैशाख माह में करें इन मंत्रों का जप
1. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
2. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
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