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    Vaishakh Amavasya पर प्रीति योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना लाभ

    गरुड़ पुराण में निहित है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही वंश में वृद्धि होती है। वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2025 Yoga) पर महादेव की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 14 Apr 2025 08:00 PM (IST)
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    Vaishakh Amavasya 2025: महादेव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पितरों को जल देना चाहिए। साथ ही गरीब लोगों या मंदिर में विशेष चीजों का दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या पर इन कामों को करने से व्यक्ति को पितरों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। आइए जनते हैं वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2025 Date) की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

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    वैशाख अमावस्या शुभ मुहूर्त (Vaishakh Amavasya 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 49 मिनट पर वैशाख अमावस्या तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 28 अप्रैल को देर रात 01 बजे वैशाख अमावस्या तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 27 अप्रैल को वैशाख अमावस्या मनाई जाएगी।

    वैशाख अमावस्या शुभ योग (Vaishakh Amavasya Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख अमावस्या पर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। वैशाख अमावस्या पर प्रीति योग देर रात तक है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में स्नान-दान कर महादेव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

    शिववास योग

    वैशाख अमावस्या पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग देर रात एक बजे तक है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। शिववास योग में महादेव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल मिलेगा। इसके अलावा, अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 44 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 54 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 17 मिनट से 05 बजे तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 14 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।