Tulsidas Jayanti 2025: आज है तुलसीदास जयंती, पढ़िए उनके कुछ प्रेरणादायक दोहे
तुलसीदास जी जो रामचरितमानस के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं का पूरा जीवन राम भक्ति के लिए समर्पित था। ऐसे में चलिए तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर पढ़ते हैं उसके कुछ प्रेरणादायक दोहे। जिसके अर्थ को अगर जीवन में उतार लिया जाए तो इससे आपके लिए सफलता प्राप्ति की राह आसान हो सकती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हम सभी तुलसीदास जी को 'रामचरितमानस' के रचयिता के रूप में जानते हैं। माना जाता है कि श्रावण माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर ही तुलसीदास जी का जन्म हुआ था। ऐसे में आज यानी 31 जुलाई को तुलसीदास जी की जयंती मनाई जा रही है। वह भगवान राम के प्रति अपनी अनंत भक्ति के लिए जाने जाते हैं। चलिए पढ़ते हैं तुलसीदास जी के कुछ प्रेरणादायक दोहे।
1. ‘तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयौ किसान।
पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।।
इस दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि हमारा शरीर एक खेत के समान है और मन इस खेत रूपी शरीर का किसान है। किसान जैसा बीज खेत में बोता है, वैसा ही फल पाता है। इसी प्रकार व्यक्ति का मन जैसा होता है, अर्थात जैसे उसमें विचार आते हैं, उसे फल भी उसी के प्रकार से प्राप्त होता है।
2. माता-पिता गुरु स्वामि सिख, सिर धरि करहिं सुभाय।
लहेउ लाभु तिन्ह जनम कर, नतरु जनम जग जाये।।
इस दोहे का अर्थ है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता और गुरुओं के आदेश का पालन करता है, इस दुनिया में इसी का जन्म सिद्धि होता है। इसी के विपरित जो व्यक्ति माता-पिता या गुरुजनों की बातों की अवहेलना करता है और उनका अनादर करता है, उसका धरती पर जन्म लेना व्यर्थ है।
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(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
3. तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर।
बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर।।
इस दोहे का अर्थ है कि मीठी वाणी बोलने से चारो ओर सुख का प्रकाश फैलता है। मीठी वाणी बोलकर किसी का भी दिल जीता जा सकता है। यह एक ऐसा मंत्र है, जो सभी को आपकी ओर आकर्षित करता है। इसलिए, व्यक्ति को कठोर वचन छोड़कर मीठे वचन बोलने की कोशिश करनी चाहिए।
4. आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।
‘तुलसी’ तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह॥
इस दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस घर में जाने पर घर के लोग आपको देखकर खुश न हों और जिनकी आंखों में आपके लिए स्नेह न दिखाई दे, ऐस घर में कभी नहीं जाना चाहिए। चाहे उस व्यक्ति से आपको कितना ही लाभ क्यों न हो।
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