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    Tulsi Mantra: भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए करें इन मंत्रों का जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 26 Mar 2025 09:30 PM (IST)

    जगत के पालनहार भगवान विष्णु की महिमा अपरंपार है। अपने भक्तों पर भगवान विष्णु विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही साधक पर धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए गुरुवार का व्रत (Tulsi Mantra) रखती हैं।

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    Tulsi Mantra: तुलसी मां को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। यह व्रत अविवाहित लड़कियां और विवाहित महिलायें करती हैं। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    गुरुवार के दिन तुलसी माता की विशेष पूजा एवं आरती की जाती है। तुलसी माता की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही गरीबी एवं दरिद्रता दूर हो जाती है। साधक श्रद्धा भाव से गुरुवार के दिन तुलसी माता की पूजा करते हैं। अगर आप भी सुखों में वृद्धि पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन भक्ति भाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय तुलसी मां के नामों का जप करें। वहीं, पूजा का समापन तुलसी आरती से करें।

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    तुलसी माता के नाम

    1.ॐ श्री तुलस्यै नमः

    2.ॐ नन्दिन्यै नमः

    3.ॐ देव्यै नमः

    4.ॐ शिखिन्यै नमः

    5.ॐ धारिण्यै नमः

    6.ॐ धात्र्यै नमः

    7.ॐ सावित्र्यै नमः

    8.ॐ सत्यसन्धायै नमः

    9.ॐ कालहारिण्यै नमः

    10.ॐ गौर्यै नमः

    11.ॐ देवगीतायै नमः

    12.ॐ द्रवीयस्यै नमः

    13.ॐ पद्मिन्यै नमः

    14.ॐ सीतायै नमः

    15.ॐ रुक्मिण्यै नमः

    16.ॐ प्रियभूषणायै नमः

    17.ॐ श्रेयस्यै नमः

    18.ॐ श्रीमत्यै नमः

    19.ॐ मान्यायै नमः

    20.ॐ गौर्यै नमः

    21.ॐ गौतमार्चितायै नमः

    22.ॐ त्रेतायै नमः

    23.ॐ त्रिपथगायै नमः

    24.ॐ त्रिपादायै नमः

    25.ॐ त्रैमूर्त्यै नमः

    26.ॐ जगत्रयायै नमः

    27.ॐ त्रासिन्यै नमः

    28.ॐ गात्रायै नमः

    29.ॐ गात्रियायै नमः

    30.ॐ गर्भवारिण्यै नमः

    31.ॐ शोभनायै नमः

    32.ॐ समायै नमः

    33.ॐ द्विरदायै नमः

    34.ॐ आराद्यै नमः

    35.ॐ यज्ञविद्यायै नमः

    36.ॐ महाविद्यायै नमः

    37.ॐ गुह्यविद्यायै नमः

    38.ॐ कामाक्ष्यै नमः

    39.ॐ कुलायै नमः

    40.ॐ श्रीयै नमः

    41.ॐ भूम्यै नमः

    42.ॐ भवित्र्यै नमः

    43.ॐ सावित्र्यै नमः

    44.ॐ सरवेदविदाम्वरायै नमः

    45.ॐ शंखिन्यै नमः

    46.ॐ चक्रिण्यै नमः

    47.ॐ चारिण्यै नमः

    48.ॐ चपलेक्षणायै नमः

    49.ॐ पीताम्बरायै नमः

    50.ॐ प्रोत सोमायै नमः

    51.ॐ सौरसायै नमः

    52.ॐ अक्षिण्यै नमः

    53.ॐ अम्बायै नमः

    54.ॐ सरस्वत्यै नमः

    55.ॐ सम्श्रयायै नमः

    56.ॐ सर्व देवत्यै नमः

    57.ॐ विश्वाश्रयायै नमः

    58.ॐ सुगन्धिन्यै नमः

    59.ॐ सुवासनायै नमः

    60.ॐ वरदायै नमः

    61.ॐ सुश्रोण्यै नमः

    62.ॐ चन्द्रभागायै नमः

    63.ॐ यमुनाप्रियायै नमः

    64.ॐ कावेर्यै नमः

    65.ॐ मणिकर्णिकायै नमः

    66.ॐ अर्चिन्यै नमः

    67.ॐ स्थायिन्यै नमः

    68.ॐ दानप्रदायै नमः

    69.ॐ धनवत्यै नमः

    70.ॐ सोच्यमानसायै नमः

    71.ॐ शुचिन्यै नमः

    72.ॐ श्रेयस्यै नमः

    73.ॐ प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः

    74.ॐ विभूत्यै नमः

    75.ॐ आकृत्यै नमः

    76.ॐ आविर्भूत्यै नमः

    77.ॐ प्रभाविन्यै नमः

    78.ॐ गन्धिन्यै नमः

    79.ॐ स्वर्गिन्यै नमः

    80.ॐ गदायै नमः

    81.ॐ वेद्यायै नमः

    82.ॐ प्रभायै नमः

    83.ॐ सारस्यै नमः

    84.ॐ सरसिवासायै नमः

    85.ॐ सरस्वत्यै नमः

    86.ॐ शरावत्यै नमः

    87.ॐ रसिन्यै नमः

    88.ॐ काळिन्यै नमः

    89.ॐ श्रेयोवत्यै नमः

    90.ॐ यामायै नमः

    91.ॐ ब्रह्मप्रियायै नमः

    92.ॐ श्यामसुन्दरायै नमः

    93.ॐ रत्नरूपिण्यै नमः

    94.ॐ शमनिधिन्यै नमः

    95.ॐ शतानन्दायै नमः

    96.ॐ शतद्युतये नमः

    97.ॐ शितिकण्ठायै नमः

    98.ॐ प्रयायै नमः

    99.ॐ धात्र्यै नमः

    100.ॐ श्री वृन्दावन्यै नमः

    101.ॐ कृष्णायै नमः

    102.ॐ भक्तवत्सलायै नमः

    103.ॐ गोपिकाक्रीडायै नमः

    104.ॐ हरायै नमः

    105.ॐ अमृतरूपिण्यै नमः

    106.ॐ भूम्यै नमः

    107.ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः

    108.ॐ श्री तुलस्यै नमः

    तुलसी आरती

    जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।

    सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

    मैय्या जय तुलसी माता...

    सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।

    रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।

    मैय्या जय तुलसी माता...

    बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।

    विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।

    मैय्या जय तुलसी माता...

    हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।

    पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।

    मैय्या जय तुलसी माता...

    लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।

    मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।

    मैय्या जय तुलसी माता...

    हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।

    प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।

    हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।

    मैय्या जय तुलसी माता...

    जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

    सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥

    मैय्या जय तुलसी माता...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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