नंदी के कान में इस विधि से कहें अपनी इच्छा, जल्द पूरी होगी हर मनोकामना
नंदी भगवान शिव के परम भक्त और उनकी सवारी के रूप में जाने जाते हैं। मान्यता है कि वे भक्तों की मनोकामनाएं महादेव तक पहुंचाते हैं। यही कारण है कि शिव मंदिर में नंदी जी के कान में मनोकामना कहने का प्रचलन है। चलिए जानते हैं नंदी जी के कान में मनोकामना किस प्रकार कहनी चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नंदी जी शिव की सवारी होने के साथ-साथ भगवान शिव के प्रिय गणों में से भी एक हैं। महादेव के मंदिर में नंदी जी की मूर्ति जरूर पाई जाती है। धार्मिक मान्याता है कि भगवान शिव तपस्या में ही लीन रहते हैं, ऐसे में उन तक भक्तों की इच्छा पहुचाने का काम नंदी महाराज ही करते हैं। चलिए जानते हैं नंदी जी के कान में (Nandi Ke Kaan Me Kaise Bole) चलिए जानते हैं इससे संबंधित नियम।
क्या है मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने नंदी जी को यह वरदान दिया था, कि जो भी भक्त नंदी जी के कान में आकर अपनी इच्छा कहेगा, वह जल्द पूरी होगी। इसलिए शिव मंदिर जाकर नंदी जी के कान में मनोकामना कहने की परम्परा चली आ रही है।
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इच्छा बोलने से पहले करें ये काम
शिव मंदिर जाकर मौन धारण करना चाहिए और शिव जी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और इसके बाद नंदी महाराज की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद ही नंदी जी के कान में अपनी इच्छा कहनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी मनोकामना जल्द पूरी होती है।
इस तरह बोलें मनोकामना
नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामना बोलने से पहले ओम नमः शिवाय बोलें। नंदी जी के बाए कान में इच्छा कहते समय उनका दायां कान अपने एक हाथ से बंद कर दें। इसी के साथ मनोकामना कहते समय अपना मुंह ढक लेना चाहिए। अपनी मनोकामना कहने के बाद आपको नंदी जी को कुछ भेंट भी अर्पित करनी चाहिए जैसे - फल, प्रसाद या धन आदि।
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रखें इन बातों का ध्यान
नंदी जी के कान में अपनी मनोकामना कहते समय इस बात का ध्यान रखें, कि आपकी बात कोई और न सुन रहा हो। इसलिए मनोकामना कहते समय मुंह ढका जाता है। मनोकामना कहने के बाद नंदी जी से अंत में कहें कि 'नंदी महाराज हमारी मनोकामना जल्द पूरी कीजिए'।
किस तरह की मनोकामना कहनी चाहिए
नंदी जी (Nandi Ke Kaan Me Kaise Bole) के कान में ऐसा कोई मनोकामना न कहें, जो पूरी न हो सके या फिर कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति के अहित से जुड़ी कामना भी नंदी जी के कान में नहीं कहनी चाहिए। क्योंकि इस तरह की मनोकामना कभी पूरी नहीं होती।
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