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    रामायण में लिखा है पूरी दुनिया की कृपा आप पर होगी, पढ़िए कि आपको क्या करना है

    रामायण की चौपाइयां जीवन के सार से भरी हुई हैं। यदि आप उन्हें पढ़ते हैं और उनका मनन करते हैं तो पाएंगे आपके जीवन की हर चुनौतियों हर मुश्किलों और परेशानियों के लिए समाधान दिया गया है। रामायण का पाठ आपको धैर्य की शिक्षा देने के साथ ही पॉजिटिविटी से भर देगा। पढ़िए ऐसी ही दो चौपाइयां जो आपके जीवन को बदल सकती हैं।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Wed, 23 Apr 2025 02:10 PM (IST)
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    यदि आप नियमित रूप से रामायण का पाठ करते हैं, तो आपको लाइफ के लेसन्स वहीं से मिल जाएंगे।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामचरितमानस आज भी अगर प्रासांगिक है, तो इसकी वजह यह है कि इसमें लिखी बातें रामायण काल में जितनी सटीक थीं, आज भी उतनी ही सटीक हैं। यदि आप नियमित रूप से रामायण का पाठ करते हैं, तो आपको लाइफ के लेसन्स वहीं से मिल जाएंगे।

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    आपके जीवन में हमेशा सकारात्मकता बनी रहेगी और आप विपरीत परिस्थितियों में भी राम नाम के सहारे पार हो जाएंगे। आज हम आपको रामायण की ऐसी ही कुछ चौपाइयों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आप जान जाएंगे कि सबका समय एक जैसा नहीं होता है।

    जिंदगी भर न कोई ज्ञानी रहता है, न मूर्ख

    रामचरित मानस के बालकांड में एक चौपाई है। इसमें श्री हरि विष्णु के रामावतार का कारण और उनकी लीला का उद्देश्य समझाते हुए भगवान शिव कहते हैं…

    बोले बिहसि महेस तब ग्यानी मूढ़ न कोइ।

    जेहि जस रघुपति करहिं जब सो तस तेहि छन होइ।

    इस चौपाई का अर्थ है कि किसी को भी इस भ्रम में न नहीं रहना चाहिए कि उसे बहुत ज्ञान है या कोई हमेशा मूर्ख ही रहेगा। भगवान की जब जैसी इच्छा होती है, तब वह प्रत्येक प्राणी को वैसा ही बना देते हैं।

    यदि किसी को अपने ज्ञान पर बहुत अहंकार है, तो जीवन में कभी वह ऐसा काम कर जाएगा, जिससे बाद में उसे बहुत पछतावा होगा। वहीं, जिसे लोग मूर्ख समझते हैं, वह भी कभी न कभी ऐसा काम कर लेगा, जिससे उसका और उसके परिवार का जीवन बदल जाए।

    इसलिए कभी किसी चीज का अहंकार नहीं करना चाहिए। जो अहंकार करते हैं, वो समाज में कभी आगे नहीं बढ़ पाते। जो भगवान राम की शरण में रहते हैं, वो भवसागर से तर जाते हैं। 

    तब बरसती है दुनिया की कृपा... 

    यह चौपाई रामायण के अरण्यकाण्ड से ली गई है। इसमें बताया गया है कि किन लोगों पर हर कोई कृपा करने लगता है। किन लोगों के हृदय में भगवान राम स्वयं बसते हैं।

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    अगस्त्य ऋषि ने जब राम को अपने आश्रम में आमंत्रित किया था, तो उन्होंने राम को बहुत सारे उपदेश दिए थे। उन्होंने भगवान राम से कहा था कि हमेशा भगवान की कृपा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

    जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई॥

    जिनके कपट, दम्भ नहिं माया। तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

    रामायण की इस चौपाई का अर्थ है, जिन लोगों पर भगवान राम की कृपा होती है, उन पर संसार का हर व्यक्ति कृपा करने लगता है। उन्हें संसार का कोई दुख छू तक नहीं सकता। जिन लोगों के अंदर कपट, पाखंड और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में रघुपति बसते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।