ॐ के साथ ही क्यों बोला जाता है मंत्र, जानिए इसका महत्व और खास बातें
ॐ एक पवित्र शब्द है जो त्रिदेवों और ब्रह्मांड की पहली ध्वनि का प्रतीक है। यह तीन अक्षरों- अ उ और म से बना है। हिंदू बौद्ध और सिख धर्मों में इसका महत्व है। मंत्रों की शुरुआत में ॐ लगाने से वे शुद्ध और शक्तिशाली हो जाते हैं त्रुटियां दूर होती हैं और एकाग्रता बढ़ती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जब भी पूजा-पाठ के दौरान आप कोई मंत्र बोलते होंगे, तो उसकी शुरुआत ॐ से करते होंगे। योग या ध्यान की विधि में भी ॐ का उच्चारण किया जाता है। आखिर यह एक शब्द क्या है? इसका इतना महत्व क्यों है? इसको मंत्र के शुरू में लगाने से क्या लाभ मिलता है? इसे कैसे बोलना चाहिए?
अगर, आपके भी मन में इस तरह के सवाल उठते हैं, तो आज हम आपको इससे जुड़े सभी जवाब देंगे। दरअसल, ॐ शब्द तीन अक्षरों अ, उ और म से मिलकर बना है। यह तीन अक्षर त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह तीन अक्षर रजो गुण, तमो गुण और सत्व गुण का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यह तीन अक्षर सत, चित और आनंद हैं। यह ब्रह्मांड की सबसे पहली ध्वनि और सृष्टि के उद्भव का प्रतीक है। ॐ का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध और सिख धर्म में भी इसके महत्व को स्वीकार किया गया है।
मंत्र के आगे ॐ जुड़ने से मंत्र शुद्ध और शक्तिशाली हो जाता है। इसे बीज मंत्र भी कहा जाता है। मंत्र जाप के दौरान किसी भी त्रुटि या दोष को दूर करने में यह मदद करता है। इसके साथ ही यह ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है। वैज्ञानिक शोध में भी पाया गया है कि ओम का उच्चारण करने से मानसिक तनाव में कमी आती है।
कहां करना चाहिए उच्चारण
शांत वातावरण में ध्यान मुद्रा में बैठकर ॐ का जाप करना चाहिए। इससे मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति का ध्यान केंद्रित होता है। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए ओ से ऊ तक जोर लगाते जाएं फिर म का उच्चारण के दौरान ध्वनि धीमी और शांत होती जाएगी।
सांसों और आवाज का यह उतार-चढ़ाव ही मन, बुद्धि और आत्मा को शांति देता है। वेदों की ऋचाएं, श्रुतियां भी इसके बिना अधूरी हैं। किसी भी मंत्र के पहले ॐ लगा देने से उसके फलित होने की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
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उच्चारण के लिए सही समय क्या है
ॐ का उच्चारण करने के लिए सही समय ब्रह्म मुहूर्त है। उस समय ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ आप जल्दी जुड़ जाते हैं। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो सूर्योदय से पहले उठकर इसका उच्चारण करें। वैसे आप इसे दिन के किसी भी समय कर सकते हैं।
मगर, दिन निकलने के साथ-साथ शोरगुल और मन में कई तरह की चिंताएं और तनाव होने की वजह से संभव है कि आप उस समय गहरे ध्यान में न उतर सकें। रात में शांति होने के बाद भी इसका उच्चारण किया जा सकता है।
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