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    कर्ज से मुक्ति पाने के लिए Vinayak Chaturthi पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, बरसेगी गजानन की कृपा

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 28 May 2025 03:01 PM (IST)

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (Vinayaka Chaturthi 2025 Yoga) पर कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से साधक को मुक्ति मिलती है।

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    Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 30 मई को विनायक चतुर्थी है। यह पर हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साधक विशेष कामों में सफलता पाने के लिए भगवान गणेश के निमित्त व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।

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    ज्योतिष भी धन संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अर्पित करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। अगर आप भी कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के समय ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

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    संकट नाशन स्तोत्र

    प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।

    भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये ।।

    प्रथमं वक्रतुडं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।

    तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।

    लम्बोदरं पंचमं च षष्ठ विकटमेव च ।

    सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।

    नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।

    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।

    द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।

    न च विध्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ।।

    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

    जपेग्दणपतिस्तोत्रं षड् भिर्मासैः फ़लं लभेत् ।

    संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ।।

    अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।

    तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।

    ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र

    सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    त्रिपुरस्य वधात्पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    हिरण्यकश्यपादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    तारकस्य वधात्पूर्वं कुमारेण प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    भास्करेण गणेशस्तु पूजितश्छविसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    शशिना कान्तिसिद्ध्यर्थं पूजितो गणनायकः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    पालनाय च तपसा विश्वामित्रेण पूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    इदं त्वृणहरं स्तोत्रं तीव्रदारिद्र्यनाशनम्।

    एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः॥

    दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत्।

    फडन्तोऽयं महामन्त्रः सार्धपञ्चदशाक्षरः॥

    अस्यैवायुतसंख्याभिः पुरश्चरणमीरितम।

    सहस्रावर्तनात् सद्यो वाञ्छितं लभते फलम्॥

    भूत-प्रेत-पिशाचानां नाशनं स्मृतिमात्रतः॥

    ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र

    ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।

    षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥

    महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।

    एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥

    एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।

    महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।

    सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।

    रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।

    कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥

    पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।

    पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।

    सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

    षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥

    सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।