साल का पहला सूर्य ग्रहण और शनि का गोचर किन राशियों के लिए रहेगा मुश्किल भरा?
सूर्य ग्रहण और शनि का गोचर एक साथ होने से कुछ राशियों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस अवधि के दौरान अगर कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए तो इनके नकारात्मक ऊर्जा से बचा सकता है तो आइए इसका (Surya Grahan Or Shani Gochar 2025) अशुभ प्रभाव किन राशियों पर पड़ेगा जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण और शनि का गोचर एक ही दिन होने वाला है। यह घटना ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसका कुछ राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि अगर कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका ध्यान रखा जाए, तो इसके (Surya Grahan Or Shani Gochar 2025) अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है, तो चलिए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
सूर्य ग्रहण और शनि गोचर कब होगा? (Surya Grahan Or Shani Gochar 2025 Date And Time)
इस साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च यानी आज लगेगा। इसी दिन शनि भी कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करेंगे। ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर सूर्य ग्रहण और शनि के गोचर का यह संयोग कुछ राशियों के लिए मुश्किल भरा रहेगा। इन्हें इस अवधि में शिव पूजन जरूर करना चाहिए, क्योंकि भोलेनाथ सभी कष्टों को हरने वाले हैं।
मेष राशि (Aries)
मेष राशि वालों के लिए यह समय करियर में उतार-चढ़ाव वाला रहेगा। काम का दबाव बढ़ सकता है और टीम के साथ मनमुटाव हो सकता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा।
कुंभ राशि (Aquarius)
शनि के मीन गोचर से कुंभ राशि वालों को अशुभ परिणाम मिल सकते हैं। इस राशि के लोगों का मानसिक तनाव बढ़ सकता है। इसके साथ ही आर्थिक नुकसान हो सकता है।
मीन राशि (Pisces)
सूर्य ग्रहण और शनि गोचर का संयोग मीन राशि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस राशि के लोगों के पारिवारिक जीवन में परेशानियां आ सकती हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
इन राशियों के लोगों को इस दौरान सतर्क रहने की आवश्यकता है। इन्हें धैर्य और संयम से काम लेना चाहिए। भगवान शिव और शनि देव की पूजा करना और दान करना इस समय लाभकारी हो सकता है। इसलिए इस दौरान ज्यादा से ज्यादा पूजा और धार्मिक काम करें।
पूजन मंत्र
- ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।।
- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्।।
- ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
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