Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी पर करें इन खास चीजों का दान, जीवन भर नहीं होगी धन की कमी
पापमोचनी एकादशी के दिन भक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस साल यह व्रत चैत्र महीने में 25 मार्च (Ekadashi 2025) को रखा जाएगा। वहीं जो लोग इस व्रत को रख रहे हैं उन्हें इस तिथि पर दान-पुण्य जरूर करना चाहिए तो आइए यहां पर जानते हैं कि इस दिन क्या दान करना शुभ माना जाता है?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पापमोचनी एकादशी व्रत इस साल 25 मार्च 2025 को रखा जाएगा। हिंदुओं में एकादशी का खास महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस तिथि पर लोग कठोर उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं। माना जाता है कि जो साधक इस व्रत को रखते हैं, उन्हें श्री हरि की कृपा मिलती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर इस व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन (Papmochani Ekadashi 2025) दान का भी बड़ा महत्व है, तो आइए जानते हैं कि इस तिथि पर क्या दान करना शुभ माना जाता है।
पापमोचनी एकादशी पर करें इन चीजों का दान (Papmochani Ekadashi 2025 Daan List)
अनाज - इस दिन अनाज का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में आप चावल, गेहूं, दालें आदि दान कर सकते हैं।
वस्त्र - आप गरीबों को वस्त्र दान कर सकते हैं, वस्त्र दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
ऋतु फल - आप फलों का दान भी कर सकते हैं, फल दान करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
जल - आप गरीबों को पानी भी दान कर सकते हैं, जल दान करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
छाता या जूते - गर्मी के मौसम में छाता और जूते दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दान से आर्थिक तंगी दूर होती है और जीवन से नकारात्मता कम होती है।
दान का धार्मिक महत्व (Papmochani Ekadashi 2025 Daan Significance)
हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व है। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पापमोचनी एकादशी के दिन दान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें इस दिन चावल, दाल, गेहूं और मांसाहारी भोजन नहीं खाना चाहिए।
व्रत के दिन केवल फल और दूध का सेवन करना चाहिए। कहते हैं कि पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को नारायण की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
पापमोचनी एकादशी मंत्र (Papmochani Ekadashi 2025 Mantra)
1. शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।
2. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
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