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    Surya Grahan 2025 Date: कब लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? अभी नोट करें सही टाइम

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 12:00 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025) और चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या पर लगने जा रहा है। सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद कर देने चाहिए। ऐसे में चलिए जानते हैं सूर्य ग्रहण की डेट और टाइम के बारे में।

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    Solar Eclipse 2025: भारत में दिखाई नहीं देगा सूर्य ग्रहण

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी। इसी दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025 Date) लगेगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।

    ग्रहण के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि नियम का पालन न करने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए उपाय जरूर आजमाएं और मंदिर या गरीब लोगों में दान करें।

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    कितने बजे से शुरू होगा सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025 Date and Time)

    सूर्य ग्रहण की शुरुआत 21 सितंबर (surya grahan 2025 in india date and time) की रात 10 बजकर 59 मिनट पर होगी और समापन रात 03 बजकर 23 मिनट पर होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण है और भारत में नजर नहीं आएगा। इसी कारण भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

    क्या होता है सूतक समय

    सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल की शुरुआत होती है। इस अवधि के दौरान पूजा-पाठ, शुभ और मांगलिक काम करने की मनाही है। ऐसा माना जाता है कि सूतक काल के दौरान प्रभु के नाम का जप करें। इसके अलावा भोजन का सेवन न करें। सूर्य ग्रहण के समापन के साथ ही सूतक काल खत्म होता है। इसके बाद स्नान करने के बाद घर और मंदिर की साफ-सफाई करें। गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। विशेष चीजों का दान करें।

    जरूर करें ये काम

    • सूर्य ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव की पूजा-अर्चना करें।
    • इसके अलावा पीपल के पेड़ में जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य ग्रहण के बाद इस उपाय को करने से सभी बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।

    सूर्य मंत्र

    • ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
    • हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
    • ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
    • ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
    • ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:
    • ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
    • जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
    • तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।
    • ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।