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    Surya Grahan 2025: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं? नोट करें सूतक टाइम

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 06:50 AM (IST)

    सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025) और चंद्र ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना जाता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया रहेगा। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ करने से अशुभ फल मिलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा या नहीं।

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    Surya Grahan 2025: क्या है सूर्य ग्रहण का सूतक समय

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 21 सितंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025 Date) लगने जा रहा है। आज सर्वपितृ अमावस्या भी मनाई जा रही है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय पृथ्वी पर मायावी ग्रह राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। इसी वजह से ग्रहण के दौरान पूजा-अर्चना और शुभ काम करना वर्जित है।

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    सूर्य ग्रहण से पहले मंदिर के कपाट को बंद कर देना चाहिए और भोजन में तुलसी के पत्ते ड़ाल कर रखें। इससे ग्रहण का प्रभाव खाने की चीजों पर नहीं पड़ता है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास जानकारी के बारे में।

    सूर्य ग्रहण 2025 डेट और टाइम (Surya Grahan 2025 Date and Time)

    सूर्य ग्रहण की शुरुआत 21 सितंबर (surya grahan 2025 in india date and time) की रात 10 बजकर 59 मिनट पर होगी और समापन रात 03 बजकर 23 मिनट पर होगा। यह साल का आखिरी आंशिक सूर्य ग्रहण है और भारत में नजर नहीं आएगा। इसी वजह से भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

    जरूर करें ये काम

    अगर आप सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचना चाहते हैं, तो सूर्य ग्रहण के दौरान ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: और ऊँ घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति ग्रहण के प्रभाव से दूर रहता है।

    इन चीजों का करें दान

    सूर्य ग्रहण के समापन होने के बाद दान करने का विशेष महत्व माना गया है। ग्रहण के बाद स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना करें। इसके बाद अन्न, धन और कपड़े समेत आदि चीजों का दान करें। ऐसा माना जाता है कि दान करने से धन में वृद्धि होती है और जीवन सुख-समृद्धि बनी रहती है।

    सूर्य मंत्र

    • ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
    • हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
    • ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
    • ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
    • ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:
    • ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
    • जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
    • तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।
    • ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।