Surdas Jayanti 2025: मई में कब मनाई जाएगी सूरदास जयंती? पढ़ें उनके प्रसिद्ध दोहे
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Surdas Jayanti 2025 Date) पर आर्द्रा और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही बालव कौलव और तैतिल करण के योग हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। सूरदास जयंती से एक दिन पहले विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर सूरदास जयंती मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-भक्ति की जाती है। साथ ही भगवान कृष्ण के परम भक्त सूरदास जी को याद किया जाता है। भगवान कृष्ण के भक्तों को अपने जीवनकाल में सुख और प्रसिद्धि अवश्य ही मिलती है।
सूरदास जी वैष्णव समाज के अनुयायी और जगत के पालनहार भगवान कृष्ण के परम भक्त थे। उन्होंने गीत के जरिए भगवान कृष्ण की भक्ति की। गीत और संगीत के माध्यम से सूरदास जी ने भगवान कृष्ण की भक्ति की। अपने जीवनकाल में सूरदास जी ने कई रचनाएं की हैं। वर्तमान समय में भी सूरदास जी के दोहे सुने और गाए जाते हैं। आइए, सूरदास जयंती की सही डेट, शुभ मुहूर्त, योग और दोहे जानते हैं।
यह भी पढ़ें: इस विधि से करें इष्ट देवता की आरती, पूजा का पूर्ण फल होगा प्राप्त
कब है सूरदास जयंती?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 01 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 02 मई को सुबह 09 बजकर 13 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि समाप्त होगी। इस प्रकार 02 मई को सूरदास जयंती मनाई जाएगी। वहीं, 01 मई को विनायक चतुर्थी है।
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, दुर्लभ शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में सूरदास जी के आराध्य भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी।
सूरदास जी के दोहे
1. “मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृंदावन की रेनु।
नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु।।
मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन।
चलत कहां मन बस पुरातन जहां कछु लेन न देनु।।
इहां रहहु जहं जूठन पावहु ब्रज बासनी के ऐनु।
सूरदास ह्यां की सरवरि नहिं कल्प बृच्छ सुरधेनु।।”
2. “मैं नहीं माखन खायो मैया। मैं नहिं माखन खायो।
ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो।।
देखि तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो।
हौं जु कहत नान्हें कर अपने मैं कैसे करि पायो।।
मुख दधि पोंछि बुद्धि इक कीन्हीं दोना पीठि दुरायो।
डारि सांटि मुसुकाइ जशोदा स्यामहिं कंठ लगायो।।
बाल बिनोद मोद मन मोह्यो भक्ति प्राप दिखायो।
सूरदास जसुमति को यह सुख सिव बिरंचि नहिं पायो।।”
यह भी पढ़ें: पूजा के बाद क्यों जरूरी है आरती करना, पुराणों में भी बताया गया है इसका महत्व
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।